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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2020 (Series: JBB/2) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र चार खंडों में विभाजित किया गया है- क, ख, ग एवं घ। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- खण्ड-क में प्रश्न अपठित गद्यांश पर आधारित हैं।
- खण्ड ख में प्रश्न संख्या 2 से 6 तक प्रश्न हैं।
- खण्ड-ग में प्रश्न संख्या 7 से 11 तक प्रश्न हैं।
- खण्ड – घ में प्रश्न संख्या 12 से 16 तक प्रश्न हैं।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रम से लिखिए।
- उत्तर संक्षिप्त तथा क्रमिक होना चाहिए और साथ ही दी गई शब्द सीमा का यथासंभव अनुपालन कीजिए ।
- प्रश्न-पत्र में समग्र पर कोई विकल्प नहीं है। तथापि दो-दो अंकों वाले 2 प्रश्नों में, तीन अंक वाले 1 प्रश्न में और पाँच-पाँच अंकों वाले 6 प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए सही विकल्प का ध्यान रखिए।
- इसके अतिरिक्त, आवश्यकतानुसार, प्रत्येक खण्ड और प्रश्न के साथ यथोचित निर्देश दिए गए हैं।
खण्ड – ‘क’
SETI Code No. 4 / 2 / 1
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : [10]
अपनी सभ्यता का जब मैं अवलोकन करता हूँ, तब लोगों को काम के सम्बन्ध की उनकी विचारधारा के अनुसार उन्हें विभाजित करने लगता हूँ। एक वर्ग में वे लोग आते हैं, जो काम को उस घृणित आवश्यकता के रूप में देखते हैं, जिसकी उनके लिए उपयोगिता केवल धन अर्जित करना है। वे अनुभव करते हैं कि जब दिन भर का श्रम समाप्त हो जाता है, तब वे जीना सचमुच शुरू करते हैं और अपने आप में होते हैं। जब वे काम में लगे होते हैं. तब उनका मन भटकता रहता है। काम को वे उतना महत्त्व देने का कभी विचार नहीं करते, क्योंकि केवल आमदनी के लिए ही उन्हें काम की आवश्यकता है। दूसरे वर्ग के लोग अपने काम को आनंद और आत्मपरितोष पाने के एक सुयोग के रूप में देखते हैं। वे धन इसलिए कमाना चाहते हैं ताकि काम में अधिक एकनिष्ठता के साथ समर्पित हो सकें। जिस काम में वे संलग्न होते हैं, उसकी पूजा करते हैं। पहले वर्ग में वे लोग ही नहीं आते हैं, जो बहुत कठिन और अरुचिकर काम करते हैं। उसमें बहुत-से सम्पन्न लोग भी सम्मिलित हैं, जो वास्तव में कोई काम नहीं करते हैं।
ये सभी धन को ऐसा कुछ समझते हैं, जो उन्हें काम करने के अभिशाप से बचाता है। इसके सिवाय कि उनका भाग्य अच्छा रहा है, वे अन्यथा उन कारखानों के मज़दूरों की तरह ही हैं, जो अपने दैनिक काम को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझते हैं। उनके लिए काम कोई घृणित वस्तु है और धन वांछनीय, क्योंकि काम से छुटकारा पाने के साधन का प्रतिनिधित्व यही धन करता है। यदि काम को वे टाल सकें और फिर भी धन प्राप्त हो जाए, तो खुशी से यही करेंगे । जो लोग काम में अनुरक्त हैं तथा उसके प्रति समर्पित हैं, ऐसे कलाकार, विद्वान और वैज्ञानिक दूसरे वर्ग में सम्मिलित हैं। वस्तुओं को बनाने और खोजने में वे हमेशा दिलचस्पी रखते हैं। इसके अंतर्गत परंपरागत कारीगर भी आते हैं, जो किसी वस्तु को रूप देने में गर्व और आनंद का वास्तविक अनुभव करते हैं। अपनी मशीनों को ममत्वभरी सावधानी से चलाने और उनका रख-रखाव करने वाले कुशल मिस्त्री और इंजीनियर इसी वर्ग से संबंधित हैं।
(क) कितने प्रकार के काम करने वाले लेखक को दिखाई देते हैं? इस विभाजन का आधार क्या है? [2]
(ख) जिन लोगों के लिए काम की उपयोगिता धन प्राप्त करना है, वे क्या अनुभव करते हैं? [2]
(ग) दैनिक काम को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझने के दृष्टिकोण को कैसे बदला जा सकता है ? [2]
(घ) काम के प्रति समर्पित लोगों के वर्ग में कौन-कौन लोग आते हैं? [2]
(ङ) काम करना किनके लिए घृणित है? [1]
(च) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
उत्तर:
(क) लेखक को दो प्रकार के काम करने वाले दिखाई देते हैं । एक वर्ग में वे लोग आते हैं, जो काम को घृणित दृष्टि से देखते हैं और केवल धनार्जन करने के लिए ही काम करते हैं। दूसरे वर्ग में वे लोग आते हैं जो काम आनंद प्राप्ति के लिए करते हैं और धनार्जन इसलिए करते हैं कि काम में समर्पण बना रहे। लेखक ने लोगों को काम के सम्बन्ध की उनकी विचारधारा के अनुसार उन्हें विभाजित किया है।
(ख) जिन लोगों के लिए काम की उपयोगिता धन प्राप्त करना है, वे काम में लगे होते हैं लेकिन उनका मन भटकता रहता है। जब दिन-भर का श्रम समाप्त हो जाता है, तब वे अपने आप में होते हैं और सचमुच का जीना आरंभ करते हैं।
(ग) दैनिक काम को जब लोग समर्पित भाव से करेंगे, उस काम में आनंद का अनुभव करेंगे, धन अर्जित करने को भी काम में अधिक एकनिष्ठता से जोड़कर देखेंगे, तब काम को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझने के दृष्टिकोण में परिवर्तन आएगा।
(घ) काम के प्रति समर्पित लोगों के वर्ग में कलाकार, विद्वान, वैज्ञानिक, परंपरागत कारीगर, कुशल मिस्त्री और इंजीनियर आते हैं।
(ङ) वह मज़दूर जो कठिन और अरुचिकर काम करते हैं तथा कुछ संपन्न लोगों के लिए जिन्हें काम करने में बिल्कुल रूचि नही हैं काम करना घृणित होता है ।
(च) उपयुक्त शीर्षक है- ‘काम के प्रति सोच के आधार पर लोगों का विभाजन’ ।
खण्ड – ‘ख’
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का परिचय दीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) वह भावुक व्यक्ति है।
(ख) द्वार पर कोई भिखारी खड़ा है।
(ग) रमेश यहाँ रहता है।
(घ) वे घर पहुँच चुके हैं।
उत्तर:
(क) भावुक – गुणवाचक विशेषण, ‘व्यक्ति’ विशेष्य का विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन ।
(ख) कोई – संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, ‘भिखारी’ विशेष्य का विशेषण ।
(ग) यहाँ – स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘रहता है’ क्रिया का स्थान निर्देश ।
(घ) वे – पुरुषवाचक सर्वनाम, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ।
प्रश्न 3.
नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर निर्देशानुसार बद्धलिए दीजिए : [1 × 3 = 3]
(क) मोनुमैंट के नीचे झण्डा फहराने के बाद स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। ( संयुक्त वाक्य में )
(ख) मैं इतना थक गया था कि चल भी नहीं पा रहा था । ( सरल वाक्य में )
(ग) अविनाश के झण्डा फहराते समय उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है (मिश्र वाक्य में )
उत्तर:
(क) मोनुमैंट के नीचे झण्डा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
(ख) थकान के कारण में चल भी नहीं पा रहा था।
(ग) जब अविनाश ने झण्डा फहराया, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों को विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए : [1 × 2 = 2]
(i) कुलश्रेष्ठ
(ii) अष्टसिद्धि
(ख) निम्नलिखित को समस्त पद में परिवर्तित करके समास का नाम भी लिखिए : [1 × 2 = 2]
(i) तीन हैं लोचन जिसके अर्थात् शिव
(ii) दान के लिए पात्र
उत्तर:
(क) (1) कुलश्रेष्ठ – कुल में श्रेष्ठ – अधिकरण तत्पुरुष
(ii) अष्टसिद्धि – आठ सिद्धियों का समाहार – द्विगु समास
(ख) (i) तीन हैं लोचन जिसके अर्थात् शिव – त्रिलोचन – बहुव्रीहि समास
(ii) दान के लिए पात्र – दानपात्र – सम्प्रदान समास ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) पुलिस को देखते ही चोर फरार हो गए।
(ख) राजनीति में कई दशकों से भ्रष्टाचार की तूती बोल रही है।
उत्तर:
(क) फरार होना ( भाग जाना )
(ख) तूती बोलना ( दबदबा होना)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) बाएँ हाथ का खेल
(ख) आड़े हाथों लेना
(ग) दाँतों पसीना आना
(घ) आकाश-पाताल एक करना
उत्तर:
(क) बाएँ हाथ का खेल- नैन्सी के लिए गणित का सवाल हल करना बाएँ हाथ का खेल है।
(ख) आड़े हाथों लेना – अक्षय के काम ना करने पर हर्षा ने उसको आड़े हाथों लिया।
(ग) दाँतों पसीना आना – बागीचे में से आवारा जानवरों को बाहर खदेड़ने में माली के दाँतों पसीना आ गया।
(घ) आकाश-पाताल एक करना – श्वेता ने बारहवीं कक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
खण्ड – ‘ग’
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नो में से किन्हीं तीन के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए: [2 × 3 = 6]
(क) लेखक ने ग्वालियर से मुम्बई तक प्रकृति और मनुष्य के सम्बन्धों में किन बदलावों को महसूस किया?
(ख) तताँरा – वामीरो के त्याग के बाद उनके समाज में क्या सुखद परिवर्तन आया ?
(ग) एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह न कर सके।’ ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के सम्बन्ध में कहे गए उक्त कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए ।
(घ) कर्नल को वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड के कारनामे क्यों याद आ गए?
उत्तर:
(क) लेखक ने ग्वालियर से मुम्बई तक पर्यावरण में हुए बदलाव को महसूस किया। लेखक अब वर्सोवा में रहता है। पहले वहाँ जंगल था। जंगल में असंख्य वृक्ष और पशु-पक्षी तथा अन्य जानवर थे। अब वहाँ समुद्र के किनारे लम्बी-चौड़ी बस्ती बन चुकी है। इस प्रकार वहाँ के पर्यावरण में बहुत अंतर आ चुका है।
(ख) तताँरा – वामीरो का आपस में गहरा प्रेम था, पर उनके समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसका कारण उनके गाँवों का अलग-अलग होना था। उन दोनों ने प्रेम के लिए अपना बलिदान दे दिया । तताँरा – वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से यह सुखद परिवर्तन आया कि अब दोनों के गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध होने लगे। उन दोनों गाँवों की जड़ परंपरा को उनकी त्यागमयी मृत्यु ने छिन्न-भिन्न कर डाला ।
(ग) 26 जनवरी, 1931 के दिन कलकत्तावासी स्वतंत्रता दिवस की पुनरावृत्ति कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने सार्वजनिक सभाओं के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया था और सारै प्रोग्राम रोकने के लिए कड़े इन्तेज़ाम किए थे । कौंसिल की ओर से चार बजकर चौबीस मिनट पर मौनुमेंट के नीचे झण्डा फहराने और स्वतंत्रता प्रतिज्ञा पढ़ने की घोषणा हुई। स्वतंत्रता सेनानियों ने इस कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया । इसलिए इस पाठ के सम्बन्ध में कहा गया है कि एक संगठित समाज् कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह नहीं कर सके।
(घ) वज़ीर अली अंग्रेज़ों का शत्रु था। वह एक महान योद्धा एवं चतुर व्यक्ति था। कर्नल बहुत से सैनिक लेकर उसका पीछा कर रहा था फिर भी वह उसके हाथ नहीं लग रहा था । वज़ीर अली ने कंपनी के वकील की भी हत्या कर दी थी। कर्नल उसे किसी भी मूल्य पर पकड़ना चाहता था परन्तु वज़ीर अली रॉबिनहुड के समान वीर और साहसी था, अत: कर्नल उसे पकड़ने में सफल नहीं हो पाया। वज़ीर अली के अफसाने सुनकर कर्नल को रॉबिनहुड की याद आ जाती थी।
प्रश्न 8.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए :
शाश्वत मूल्य से आप क्या समझते हैं ? ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर बताइए कि वर्तमान समय में इन मूल्यों की क्या प्रासंगिकता है? [5]
उत्तर:
हमारे विचार से सत्य, अहिंसा, शांति, समता, परोपकार तथा विश्वबंधुत्व की भावना जैसे मूल्य शाश्वत् हैं। आज व्यावहारिकता का जो स्तर है उसमें आदर्शों का पालन नितांत आवश्यक है। व्यवहार और आदर्श दोनों का संतुलन व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है। ‘कथनी और करनी’ के अंतर ने समाज को आदर्श से हटाकर स्वार्थपरकता एवं लोलुपता की ओर ढकेल दिया है। इन शाश्वत् मूल्यों की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी, क्योंकि इनके बिना समाज का स्वरूप नष्ट हो जाएगा और समाज, समाज न रह कर जंगल बन जाएगा।
अथवा
‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है, क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में लेखक मुंशी प्रेमचन्द्र ने समूची शिक्षा प्रणाली के अनेक पहलुओं पर व्यंग्य किया है। लेखक कहता है कि परीक्षा में सफलता प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य है। छात्र बिना सोचे-समझे रटने की शक्ति को सर्वोपरि मान लेते हैं। शिक्षा में व्यावहारिकता नहीं है। इतिहास में सैंकड़ों वर्ष पूर्व हुए राजाओं के विषय में पढ़ाया जाता है और गणित में ऐसी चीजें सिखाई जाती हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता । ज्यामिति में जो कुछ भी पढ़ाया जाता है उसका कुछ भी सिर पैर नहीं होता। बड़े भाई साहब कहते हैं, “इस रेखा पर लंब गिरा दो तो आधार लंब से दुगुना होगा । पूछिए, इससे प्रयोजन ?…… परीक्षा में पास होना है तो यह सब खुराफात याद करनी पड़ेगी । ” शिक्षित होना बुद्धिमत्ता का परिचायक नहीं । शिक्षित लोग अनपढ़ों को मूर्ख कहते हैं परंतु अनेक अशिक्षितों में जीवन का गहरा अनुभव होता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए : [2 × 3 = 6]
(क) ‘तोप’ कविता के आलोक में विरासत में मिली चीज़ों के महत्त्व पर अपना दृष्टिकोण लिखिए।
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि क्यों कहता है? स्पष्ट कीजिए ।
(ग) मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
(घ) ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में सैनिकों की देशवासियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर:
(क) ‘तोप’ कविता हमें याद दिलाती है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत भी किया था, लेकिन व्यापार करते-करते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। भले ही अंग्रेज़ों की तोपों ने इस देश को आज़ाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाज़ों को मौत के घाट उतारा था पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उनकी सत्ता को उखाड़ फेंका। उनके द्वारा निर्मित तोपों को निस्तेज कर दिया। भविष्य के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए कि फिर कोई विदेशी हमारे देश में घुसपैठ करके हमारा शासक न बन बैठे। ‘तोप’ कविता प्रतीकात्मक कविता है । इसमें तोप, चिड़िया, बच्चे आदि प्रतीकों का प्रयोग किया गया है। किसी भी स्थिति का वर्णन करने के लिए उससे मिलते-जुलते प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है जो प्रकृति से संबंधित होते हैं। हमारे पूर्वजों की, उनके पूर्व अनुभवों की और पुरानी परंपराओं व संस्कारों की धरोहर नई पीढ़ी को मिलती है जिससे नई पीढ़ी उनके बारे में जान सकती है, उनके अनुभवों से कुछ सीख सकती है और उनकी बनाई श्रेष्ठ परंपराओं का पालन कर सकती है। इसीलिए इन्हें बचाकर रखना हमारा परम कर्त्तव्य है ।
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि किसी सहायक की इच्छा नहीं करता बल्कि वह परमात्मा से सहनशक्ति प्रदान करने की याचना करता है। वह चाहता है कि ईश्वर उसे दुखों को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।
(ग) मीरा के प्रभु श्याम – सलोने हैं। उन्होंने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं तथा माथे पर मोर का पंख मुकुट की भाँति सजा रखा है। गले में वैजयंती माला सुशोभित है तथा होठों पर अमृत वर्षा करने वाली मुरली विद्यमान है।
(घ) प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट किया है कि वीर सैनिक देश के गौरव की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर देते हैं। देश की भावी पीढ़ी को भी शत्रुओं से देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए । देशवासी राम-लक्ष्मण के समान वीर हैं। यह देश तभी सुरक्षित रह सकता है जब हम देश के गौरव की रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान करने के लिए सदा उद्यत रहें। कवि देश के नवयुवकों से आशा करता है कि वे देश की सीमाओं की रक्षा के लिए शत्रुओं का सम्पूर्ण विनाश करेंगे।
प्रश्न 10.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए :
5
‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रतिपादित करना चाहा है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती है। वह दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि हमें मृत्यु से भयभीत नहीं होना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें हमारी मृत्यु के पश्चात् भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्य बंधु हैं, अतः हमें दूसरों की व्यथा हरने का उपाय करना चाहिए। हमें स्वयं आगे बढ़ना चाहिए तथा अन्य लोगों को भी जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के लिए सहयोग करना चाहिए ।
अथवा
कबीर के दोहे के आधार पर कस्तूरी की उपमा को स्पष्ट कीजिए । मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए? स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
ईश्वर का निवास मानव हृदय में ही होता है, इस सत्य को उजागर करने के लिए कबीर ने कस्तूरी और मृग
का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिस प्रकार कस्तूरी मृग की नाभि में बसती है, परंतु वह इसे ढूँढने के लिए वन में घूमता फिरता है। इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति इस तथ्य से अनभिज्ञ रहता है कि परमात्मा मनुष्य के हृदय में स्थित है, वह उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरिजाघरों और अन्य तीर्थों में खोजता फिरता है । कबीर के हिसाब से जब तक व्यक्ति में ‘अहं’ का भाव रहता है तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती । ‘अहं’ भाव के मिटने पर ही हरि की प्राप्ति होती है। ‘मैं’ और ‘हरि’ दोनों एक साथ नहीं हो सकते। अतः मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम अपने अहंकार को नष्ट करना आवश्यक है।
प्रश्न 11.
लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए : [3 × 2 = 6]
(क) घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।
(ख) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है ? ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से था क्योंकि इफ़्फ़न की बूढ़ी दादी आठ वर्षीय टोपी शुक्ला के प्रति आत्मीयता की भावना रखती थी। उसके घर में टोपी शुक्ला को अपने घर से अधिक प्रेम और विश्वास मिलता था । टोपी शुक्ला के मन में इफ़्फ़न की दादी के प्रति सम्मान और सहज अनुराग था। दोनों की बोली भी एक थी। वस्तुतः दोनों ही अपने घर से उपेक्षित थे तथा परस्पर सद्भावना और आत्मीयता से युक्त थे। सहज और निस्वार्थ प्रेम जीवन में सर्वाधिक महत्त्व रखता है। यह जीवन मूल्य सबसे महत्त्वपूर्ण है। मानवीय मूल्यों की दृष्टि में दोनों का सम्बन्ध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है।
(ख) एक महंत से समाज को यह अपेक्षा होती है कि वह अपना जीवन एवं सर्वस्व भगवान को अर्पित कर चुका है तथा अब उसका जीवन समाज की धरोहर है। उसका जीवन सात्विक तथा आचरण पवित्र होना चाहिए जिससे वह समाज के लिए आदर्श बन सके। प्रस्तुत कहानी में महंतों को सामाजिक अभिशाप के रूप में चित्रित किया गया है। ठाकुरबाड़ी का लालची और दबंग महंत हरिहर काका का जबरन अपहरण करके उन्हें कैद कर लेता है तथा उनकी बुरी तरह पिटाई करवाता है। यही नहीं वह ज़बरदस्ती हरिहर काका से उनकी ज़मीन के कागजात पर हस्ताक्षर करवा कर उनकी ज़मीन हड़पने की साज़िश भी करता है। हमें ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं पर नज़र अवश्य रखनी चाहिए और अगर वहाँ कोई असामाजिक गतिविधियाँ चल रही हों तो पुलिस को उनकी सूचना देनी चाहिए। महंतों की दिनचर्या एवं रहन-सहन पर भी कड़ी नज़र होनी चाहिए कि वह धर्म के नाम पर कोई समाज विरोधी कार्य तो नहीं कर रहे।
खण्ड – ‘घ’
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। [6]
(क) सत्यमेव जयते
• भाव
• झूठ के पाँव नहीं होते
• सत्य ही परम धर्म
(ख) लड़का-लड़की एक समान
• ईश्वर की देन
• भेदभाव के कारण
• दृष्टिकोण कैसे बदलें
(ग) शिक्षक-शिक्षार्थी सम्बन्ध
• सम्बन्धों की परम्परा
• वर्तमान समय में आया अंतर
• हमारा कर्तव्य
उत्तर:
(क) सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है – सत्य की विजय होती है। यह वाक्य मुण्ड कोपनिषद् से लिया गया है। इस वाक्य में सम्पूर्ण मानवता का ज्ञान और मानव कल्याण का आधार निहित है । सत्यमेव जयते को राष्ट्रपटल पर लाने तथा उसका प्रचार करने में पंडित मदन मोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वेदांत हमारे ग्रन्थों में सत्य और असत्य की कई बातें दर्शाता है। कहा भी गया है झूठ के पाँव नहीं होते। मानव अक्सर अपनी बुराई छिपाने के लिए झूठ का सहारा लेता है। फिर उस झूठ को छिपाने के फिर एक नया झूठ। इस प्रकार समाज में झूठ ऐसे फैलता है मानो पंख लगा कर उड़ रहा हो और अंत में पकड़ा ही जाता है और दंडित भी होता है। इसलिए सत्य का प्रयोग सृष्टि का मूल तत्व माना जाता है। इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता जबकि असत्य हमेशा गलत की प्रवृत्ति दर्शाता है।
हमें ‘सत्यमेव जयते’ की मूल भावना को स्वीकार करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए तभी हम देश, समाज और स्वयं का मान-सम्मान बढ़ा सकते हैं।
(ख) लड़का-लड़की एक समान
एक समाज पुरुष और महिलाओं से मिलकर बना होता है। दोनों ईश्वर की रचना हैं। ऐसे में यह कहना कि पुरुष समाज में उच्च स्थान रखते हैं, सही नहीं होगा क्योंकि पुरुष और महिलाएँ या लड़का और लड़की दोनों ही समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। इसी प्रकार यह कहना भी सही होगा कि लड़का-लड़की एक-समान हैं क्योंकि यदि हम सिर्फ बेटों या लड़कों की ही इच्छा करेंगे तो धरती पर लड़कियों का नामोनिशान तक मिट जाएगा जिस कारण हमारा भविष्य अंधकार में चला जाएगा। जैसे-जैसे समय बदल रहा है, लोगों के विचार में भी बदलाव आ रहा है। प्रत्येक क्षेत्र में अब लड़कियाँ लड़कों के बराबर ना सिर्फ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं अपितु उनसे आगे भी निकल रही हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि केवल लड़कों की कामना करना सही नहीं है। लड़कियों का भी हमारे समाज में बराबर का योगदान है। अतः हमें लड़के और लड़कियों दोनों को समान स्थान देना चाहिए ।
(ग) शिक्षक-शिक्षार्थी सम्बन्ध
सांसारिक जीवन पिता-पुत्र/पुत्री, माता-पुत्र/पुत्री, पति-पत्नी आदि कई संबंधों से बंधा हुआ है। इसके अतिरिक्त संसार में एक महत्त्वपूर्ण संबंध गुरु-शिष्य संबंध भी संबंध गुरु-शिष्य संबंध भी है। यह एक ऐसा संबंध है जिसमें गुरु को समर्पित होने के पश्चात् गुरु शिष्य के लिए सम्पूर्ण जीवन सम्माननीय रहता है। वैसे तो हमारे जीवन में कई जाने-अनजाने गुरु होते हैं जिनमें हमारे माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है फिर शिक्षकगण एवं अन्य। भारत में गुरु-शिष्य परंपरा सदियों पुरानी है तथा पुराणों में तो गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना गया है। गुरु अपना समस्त ज्ञान शिष्य को दे देता है। इसके पीछे गुरु का एकमात्र उद्देश्य यह होता है कि उसका शिष्य उससे भी अधिक विद्वान बने। गुरु के लिए शिष्य उसकी संतान से बढ़कर होता है क्योंकि वह अपने शिक्षार्थी को अपने समस्त ज्ञान से सींचकर बड़ा करता है। प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य संबंध बहुत ही सम्माननीय होता था। शिष्य अपने गुरु का मान रखकर गुरु-दक्षिणा के रूप में अपना सर्वस्व दे देने से भी पीछे नहीं हटते थे। इस परंपरा में एकलव्य का नाम सर्वोपरि है, जिसने गुरु के कहने पर अपना अंगूठा तक काटकर गुरु-दक्षिणा स्वरूप अपने गुरु द्रोणाचार्य को दे दिया।
परंतु वर्तमान युग में गुरु-शिष्य के संबंध में बहुत परिवर्तन आ गया है। इस युग में प्राचीन युग के समान शिक्षक और शिक्षार्थी में मधुर संबंध नही रहा । आज गुरुओं को केवल शिक्षा प्रदान करने वाला साधन मात्र समझा जाता है। जैसे-जैसे शिक्षार्थी बड़ा होता जाता है, अधिक ज्ञान अर्जित करता जाता है तथा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है वैसे-वैसे वह अपने पुराने शिक्षकों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाता है और अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय स्वयं के कड़े संघर्ष एवं मेहनत को देने लगता है। इसमें कतई कोई संदेह नहीं कि मेहनत के बिना कोई कार्य सिद्ध हो परंतु शिक्षकों के उचित मार्गदर्शन के बिना कड़ी से कड़ी मेहनत भी रंग नहीं लाती। अतः यह हमारा कर्त्तव्य है कि हम सदैव अपने गुरुओं का सम्मान करें, उन्हें अपनी सफलता का श्रेय दें, अपने जीवन में किए गए उनके योगदान को कभी न भूलें और जीवन भर अपने गुरुओं की लम्बी आयु की कामना करें।
प्रश्न 13.
आपकी बस्ती के पार्क में कई अनाधिकृत खोमचे वालों ने डेरा डाल दिया है, उन्हें हटाने के लिए नगर-निगम अधिकारी को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए । [5]
उत्तर:
105, विश्वास नगर
शाहदरा, दिल्ली।
दिनांक : 27 मार्च, 20xx
सेवा में
नगर-निगम अधिकारी
पूर्वी दिल्ली नगर निगम ।
विषय : अनाधिकृत खोमचे वालों को हटाने हेतु ।
महोदय
निवेदन यह है कि मैं विश्वास नगर, शाहदरा क्षेत्र का निवासी हूँ। पिछले कई महीनों से एच- ब्लॉक के पार्क में कई अनाधिकृत खोमचे वालों ने डेरा डाल रखा है। पहले तो वे अपना सामान बेचकर चले जाते थे परंतु अब वे सब टैंट लगाकर अपने परिवार के साथ वहीं रहने भी लग गए हैं। परिणामस्वरूप पार्क में तथा पार्क के आस-पास गंदगी का अम्बार लगता जा रहा है। यदि उनमें से किसी को इस बारे में कहा जाता है तो वे लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं जिसके कारण सुबह – शाम पार्क में टहलने वालों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि आप अविलम्ब पार्क से खोमचे वालों का अवैध कब्जा हटवाएँ ताकि कॉलोनी के लोगों की दिनचर्या सामान्य ढंग से चल सके। इसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे ।
धन्यवाद सहित
प्रार्थी
क० ख०ग०
अथवा
दूरदर्शन निदेशालय को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि किशोरों के लिए देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले अधिकाधिक कार्यक्रमों को प्रसारित करने की ओर ध्यान दिया जाए। [5]
उत्तर:
पीतमपुरा, दिल्ली
दिनांक : 17 मार्च, 20xx
सेवा में
प्रबन्धक महोदय
दूरदर्शन निदेशालय
प्रसार भारती, दिल्ली।
विषय : किशोरों के लिए देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण के सम्बन्ध में।
महोदय
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की ओर दिलाना चाहता हूँ । जैसा कि विगत् कुछ महीनों से देखने में आ रहा है कि दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में अधिकांश मनोरंजन से सम्बन्धित ही होते हैं। देश में बहुत बड़ी आबादी किशोरों की है। हम जानते हैं कि किशोरावस्था में जो छाप व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर पड़ जाती है, वह चिरस्थायी हो जाती है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले विशुद्ध मनोरंजन वाले कार्यक्रमों के साथ-साथ किशोरों को देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले कार्यक्रमों को भी प्रसारित किया जाए।
धन्यवाद सहित
भवदीय, क० ख०ग०
प्रश्न 14.
अपनी बस्ती को स्वच्छ रखने हेतु कल्याण समिति के सचिव होने के नाते इससे सम्बन्धित सूचना 40-50 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
सूचना बस्ती के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि बस्ती को स्वच्छ रखने हेतु रविवार, दिनांक 12 अप्रैल, 20xx, प्रातः 10 बजे कल्याण समिति की ओर से निम्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कृपया सभी सदस्य समयानुसार पहुँच कर इन कार्यक्रमों को सफल बनाने में सहयोग दें। समिति के कार्यक्रमों का विवरण क्रमवार इस प्रकार है 1. सर्वप्रथम गलियों की सफाई । 2. पार्कों की सफाई तथा पौधारोपण | 3. पार्कों में आवारा पशुओं की आवाजाही रोकना । 4. सफाई के प्रति बस्ती के लोगों में जागरुकता फैलाना । अ० ब० स० सचिव, बस्ती कल्याण समिति । |
अथवा
आप अपने विद्यालय की छात्र संस्था के सचिव हैं तथा विद्यालय में ‘चित्रकला प्रतियोगिता’ आयोजित करवाना चाहते हैं। इससे सम्बन्धित सूचना 40-50 शब्दों में लिखिए । [5]
उत्तर:
‘सूचना छात्र संघ की पिछली मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि विद्यालय में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस विषय पर आधारित एक चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। यह प्रतियोगिता स्कूल स्तरीय होगी तथा प्रतियोगिता में 4 कक्षा से 9वीं कक्षा तक के ही विद्यार्थी भाग ले पाएंगे। प्रतियोगिता की तिथि तथा समय के बारे में निर्णय होते ही इसकी सूचना प्रत्येक कक्षा में प्रेषित कर दी जाएगी। सचिव विद्यालय छात्र संगठन |
प्रश्न 15.
‘सच्चाई की जीत’ विषय पर लघु कथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए । (5 × 1 = 5)
उत्तर:
सच्चाई की जीत
एक गांव में एक निर्धन किसान अपनी बेटी के साथ रहता था । उसके पास खेती योग्य थोड़ी-सी ज़मीन थी। जिससे वे दोनों मुश्किल से अपना गुजारा करते थे। किसान ने राजदरबार में जाकर राजा से फरियाद की। दयालु राजा ने किसान को कुछ ज़मीन दी और कहा कि इस ज़मीन के स्वामी हम ही रहेंगे, परंतु जमीन पर तुम्हारे परिश्रम से जो फसल उगेगी उस पर ही तुम्हारा अधिकार होगा। किसान सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने राजा का धन्यवाद किया और अपने गांव लौट आया।
एक दिन वह खेत जोत रहा था उसकी हल एक कठोर वस्तु से टकराया। किसान ने खोदकर देखा तो उसको एक सोने की ओखली मिली। किसान ईमानदार था । उसने अपनी बेटी से कहा कि चलो राजा को बताते हैं । परंतु बेटी ने कहा कि यदि राजा ने ओखली के साथ सोने की मूसल भी मांगी तो हम क्या करेंगे? भोला किसान नहीं माना और राजा के पास ओखली लेकर चला गया। परंतु दरबार में वही हुआ जो उसकी बेटी ने कहा था। राजा ने उसको लालची समझकर जेल में डाल दिया। किसान को बहुत पछतावा हुआ।
भोले किसान को उस गलती की सज़ा मिली जो उसकी थी ही नहीं। जेल में वह बार-बार यही दोहराता रहता और रोता रहता। एक दिन राजा ने उसकी बात सुन ली। उसने किसान को बुलाकर पूरी बात सुनी। किसान की सच्चाई सुनकर राजा को बहुत पछतावा हुआ और उसने तुरंत किसान को मुक्त कर दिया।
उसने किसान की बेटी को राजदरबार में बुलाया। किसान की बेटी की बातें सुनकर राजा समझ गया कि वह अति बुद्धिमती है। राजा ने उसकी बुद्धिमानी से प्रभावित होकर उसे अपना कोषाध्यक्ष बना दिया। पद अनुसार उसको समस्त सुख-सुविधाएँ भी प्रदान कीं। इसके पश्चात् किसान तथा उसकी बेटी सुखपूर्वक रहने लगे। अंत में जीत सच्चाई की हुई।
अथवा
बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद पर भर्ती हेतु एक ईमेल कीजिए। ( शब्द – सीमा – लगभग 100 शब्द )
उत्तर:
बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद पर भर्ती हेतु ईमेल :
From : [email protected]
To : [email protected]
Cc/Bcc : (आवश्यकतानुसार CC और BCC की लाइन को भरा जाता है | )
विषय : प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र |
मान्यवर
दिनांक 24 मई 20xx के दैनिक समाचार पत्र ‘आज का बिहार’ से ज्ञात हुआ है कि आपके विभाग में प्राइमरी
शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं तथा उन पदों के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं स्वयं को इस पद के
उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करना चाहता हूँ। मेरी योग्यताएँ एवं अन्य विवरण इस प्रकार हैं।
नाम : मनीष कुमार
पिता का नाम : श्री सुजीत कुमार
जन्मतिथि : 22.12.1997
स्थायी पता : 36/2, नया मौहल्ला, सहरसा, बिहार ।
शैक्षिक योग्यता : 12वीं ( साईंस ) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण, 2016, बिहार बोर्ड
स्नातक डिग्री (बी.एस.सी.) द्वितीय श्रेणी, 2019, बिहार बोर्ड
प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग, प्रथम श्रेणी, 2021
अनुभव : प्राइमरी शिक्षक के रूप में 1 वर्ष का अनुभव, मॉडर्न पब्लिक स्कूल, सहरसा, बिहार
प्रश्न 16.
अपने विद्यालय में होने वाले निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर के आयोजन से सम्बन्धित विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर • स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ आत्मा निवास करती है अथवा स्वास्थ्य ही जीवन है – इन आधार वाक्यों को चरितार्थ करते हुए हमारे विद्यालय में एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन होने जा रहा है। • सभी बच्चे एवं शिक्षक अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वास्थ्य शिविर में अवश्य पहुँचे । दिनांक : 18 मार्च, 20xx समय : प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक स्थान : विद्यालय का प्रांगण । |
अथवा
आप अपना कम्प्यूटर बेचना चाहते हैं। इससे सम्बन्धित विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
उत्तर:
यदि आपको कम्प्यूटर की आवश्यक है तो मैं आपको नवीनतम तकनीकी पर आधारित ‘डेल’ कम्पनी का कम्प्यूटर बहुत सस्ते दामों में देने को तैयार हूँ। इसमें आपकी आवश्यकतानुसार प्रत्येक सुविधा, जैसे – इंटरनेट तथा ईमेल इत्यादि, उपलब्ध हैं। मैंने इसे मार्च 20xx में खरीदा था । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : क० ख० ग०, मोबाइल : 9812345678 |
SET II Code No. 4/2/2
निम्न प्रश्नों के अतिरिक्त शेष सभी प्रश्न Set – I में पूछे गए हैं।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों का पद परिचय दीजिए : [1 × 5 = 5]
(i) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
(ii) उसने ऊँचा महल देखा ।
(iii) कौन आया है?
(iv) मैं अवश्य पहुँचूँगा।
(v) राम गाना गा रहा है।
उत्तर:
(i) पुस्तक – जातिवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन ।
(ii) ऊँचा – विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
(iii) कौन – सर्वनाम, प्रश्नवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) अवश्य – क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘पहुँचूँगा’ क्रिया का विशेषण ।
(v) राम – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर निर्देशानुसार दीजिए: [1 × 3 = 3]
(क) आप जो कुछ कह रहे हैं वह बिलकुल सच है। ( सरल वाक्य में बदलें )
(ख) कहा जाना चाहिए कि यह सभा एक ओपन चैलेंज थी। (संयुक्त वाक्य में )
(ग) पकड़े गए आदमियों की संख्या का पता नहीं चला। ( मिश्र वाक्य में )
उत्तर:
(क) आप बिलकुल सच कह रहे हैं ।
(ख) यह कहना होगा कि यह सभा एक ओपन चैलेंज् थी।
(ग) जितने आदमी पकड़े गए, उनकी संख्या का पता नहीं चला।
प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों को विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए : [1 × 2 = 2]
(i) कुल-परंपरा
(ii) यथाशक्ति
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम भी लिखिए :
(i) तताँरा और वामीरो
(ii) नीला है जो कमल
उत्तर:
(क) (i) कुल परंपरा – कुल की परंपरा – सम्बन्ध तत्पुरुष
(ii) यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार – अव्ययी भाव
(ख) (i) तताँरा और वामीरो – तताँरा -वामीरो – द्वंद्व
(ii) नीला है जो कमल – नीलकमल – बहुव्रीहि ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) रोते हुए लावारिस बच्चे को देखकर मेरा दिल पसीज गया ।
(ख) शर्मा जी के घर में किसी न किसी बात को लेकर तू-तू, मैं-मैं हो ही जाती है।
उत्तर:
(क) दिल पसीजना ( मन में दया आना)
(ख) तू-तू, मैं-मैं (झगड़ा होना)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
(क) हाथ फैलाना
(ख) नौ दो ग्यारह होना
(ग) नाकों चने चबाना
(घ) आग बबूला होना
उत्तर:
(क) हाथ फैलाना – स्वाभिमानी व्यक्ति किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते।
(ख) नौ दो ग्यारह होना – पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
(ग) नाकों चने चबाना – आज तो मेरी गाड़ी ने मेरे नाकों चने चबवा दिए।
(घ) आग बबूला होना – नैंसी की अनाप-शनाप बातें सुनकर सीमा आग बबूला हो गई।
प्रश्न 8.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए :
बड़े भाई साहब के कुछ कथनों से तत्कालीन शिक्षा-व्यवस्था के कुछ विशेष पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है उनका उल्लेख करते हुए लिखिए कि आज की शिक्षण व्यवस्था में किस प्रकार के परिवर्तन आप पाते हैं? [5]
उत्तर:
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में लेखक कहता है कि परीक्षा में सफलता प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य है। छात्र बिना सोचे-समझे रटने की शक्ति को सर्वोपरि मान लेते हैं। शिक्षा में व्यावहारिकता नहीं है। ज्यामिति में जो कुछ भी पढ़ाया जाता है उसका कुछ भी सिर पैर नहीं होता । जैसे इस कहानी में बड़े भाई साहब कहते हैं, “इस रेखा पर लंब गिरा दो तो आधार लंब से दुगुना होगा । पूछिए, इससे प्रयोजन ?…… परीक्षा में पास होना है तो यह सब खुराफात याद करनी पड़ेगी। ” शिक्षित होना बुद्धिमत्ता का परिचायक नहीं। शिक्षित लोग अनपढ़ों को मूर्ख कहते हैं परंतु अनेक अशिक्षितों में जीवन का गहरा अनुभव होता है।
वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था में बहुत कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है। अब पढ़ाई के साथ खेल – कूद तथा स्किल एजुकेशन को भी समान महत्त्व दिया जा रहा है। नृत्य, संगीत और गायिकी जैसे क्षेत्रों में भी बच्चे अपनी-अपनी रुचि के अनुकूल जा सकते हैं। अतः कहा जा सकता है कि शिक्षण व्यवस्था बहुत हद तक व्यावहारिकता की ओर उन्मुख है।
अथवा
जापान में अस्सी प्रतिशत लोगों में मनोरुग्णता के कारणों को समझाते हुए लिखिए कि इस संदर्भ में चा-नो-यू की परंपरा को ‘एक बड़ी देन’ क्यों कहा गया है? [5]
उत्तर:
जापान में मानसिक रोग का मुख्य कारण कार्य को तीव्र गति से करने से उत्पन्न होने वाला मानसिक तनाव है। जापानी अमेरिकी लोगों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। वे एक महीने में होने वाला कार्य एक दिन में करना चाहते हैं। इससे मानसिक तनाव में वृद्धि होती है जिससे मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं। मानसिक तनाव दूर करने के लिए टी-सेरेमनी की विशेष उपयोगिता है। इसमें व्यक्ति शान्त स्थान पर बैठकर बहुत धीमी गति से चाय पीता है। इस विधि में थोड़ी-सी चाय पीने में लगभग डेढ़ घंटा लग जाता है। चाय पीते-पीते व्यक्ति के मन से भूत-भविष्य हट जाते हैं तथा केवल वर्तमान शेष रह जाता है। इससे मानसिक विचारों की गति अत्यन्त मन्द पड़ जाती है तथा मानसिक तनाव कम हो जाता है।
प्रश्न 11.
लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए : [3 × 2 = 6]
(क) घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।
(ख) अपने जीते-जी ही अपनी धन-संपत्ति को हड़पने के लिए रचे जा रहे षड्यंत्र और दाँव-पेच देखकर हरिहर काका पर क्या बीती होगी, कल्पना के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
(क) घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इ. फ. फन के घर और उसकी दादी से था क्योंकि इ. फ. फन की बूढ़ी दादी आठ वर्षीय टोपी शुक्ला के प्रति आत्मीयता की भावना रखती थी। उसके घर में टोपी टोपी शुक्ला को अपने घर से अधिक प्रेम और विश्वास मिलता था। टोपी शुक्ला के मन में इ. फ. फन की दादी के प्रति सम्मान और सहज अनुराग था। दोनों की बोली भी एक थी। वस्तुतः दोनों ही अपने घर से उपेक्षित थे तथा परस्पर सद्भावना और आत्मीयता से युक्त थे। सहज और निस्वार्थ प्रेम जीवन में सर्वाधिक महत्त्व रखता है। यह जीवन मूल्य सबसे महत्त्वपूर्ण है। मानवीय मूल्यों की दृष्टि में दोनों का सम्बन्ध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है। (ख) अपने जीते-जी ही अपनी धन-संपत्ति को हड़पने के लिए रचे जा रहे षड्यंत्र और दाँव-पेच देखकर हरिहर काका को सबसे पहले अपने परिवार की याद आई होगी क्योंकि उनके अपने भाई ही उनकी ज़मीनों के लोभ में उनके पीछे पड़े हुए थे।
हरिहर काका महंत और अपने भाइयों के षड्यंत्र से वाकिफ थे, फिर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। गाँव के लोग भी उनकी तरफ नहीं थे। ऐसे में यदि हरिहर काका के कोई संतान होती तो किसी को इस तरह के षड्यंत्र रचने की हिम्मत नहीं होती। अतः मेरी कल्पनानुसार हरिहर काका यही सोचते रहे होंगे कि काश उन्हें भी कोई संतान होती जो उनके बाद उनकी ज़मीन-जायदाद की मालिक होती । यदि उनका अपना परिवार होता तो उनको इस कठिन समय से नहीं गुज़रना पड़ता
SET III Code No. 4/2/3
निम्न प्रश्नों के अतिरिक्त शेष सभी प्रश्न Set – I और Set-II में पूछे गए हैं।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों का पद परिचय दीजिए : [1 × 5 = 5]
(i) वह बीहड़ जंगल में भटक गया।
(ii) मैं सवेरे उठता हूँ।
(iii) मोहन से कोई मिलने आया है।
(iv) सिया एक सुंदर लड़की है।
(v) मैं अवश्य उससे मिलने पहुँचूँगा ।
उत्तर:
(i) बीहड़ – विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
(ii) उठता हूँ- अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, उत्तम पुरुष
(iii) कोई – सर्वनाम, अनिश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
(iv) सिया – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन ।
(v) अवश्य – क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘पहुँचूँगा’ क्रिया का विशेषण ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए : [1 × 3 = 3]
(क) जो एक नौकर रख लिया है, वही बनाता – खिलाता है। (संयुक्त वाक्य में )
(ख) जो रुपए दादा भेजते हैं, उसे हम बीस-बाईस तक खर्च कर डालते हैं । ( सरल वाक्य में )
(ग) मेरे बीमार होने पर तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे । ( मिश्र वाक्य में )
उत्तर:
(क) एक नौकर रख लिया है और वही बनाता – खिलाता है।
(ख) दादा के भेजे रुपए हम बीस – बाईस तक खर्च कर डालते हैं।
(ग) यदि मैं बीमार हुआ तो तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे ।
प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों को विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए : [1 × 2 = 2]
(i) यथासम्भव
(ii) राहखर्च
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम भी लिखिए :
(i) कमल के समान नयन
(ii) फूल और पत्ते
उत्तर:
(क) (i) यथासम्भव – यथा + सम्भव अर्थात् जहाँ तक सम्भव हो सके – अव्ययी भाव समास
(ii) राहखर्च – राह के लिए खर्च – सम्प्रदाय तत्पुरुष
(ख) (i) कमल के समान नयन – कमलनयन – कर्मधारय
(ii) फूल और पत्ते – फूल-पत्ते – द्वंद्व
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) रमहँगाई ने ऐसा रंग दिखाया कि गरीबों के लिए जीवन व्यतीत करना दूभर हो गया है।
(ख) मैं सुबह से तुम्हारी बाट जोह रहा हूँ।
उत्तर:
(क) रंग दिखाना ( प्रभाव दिखाना)
(ख) बाट जोहना ( प्रतीक्षा करना)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) रंगे हाथ पकड़ना
(ख) बीड़ा उठाना
(ग) बाएँ हाथ का खेल
(घ) जान बख्श देना
उत्तर:
(क) रंगे हाथ पकड़ना – मोहन चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
(ख) बीड़ा उठाना – मैंने इस काम का बीड़ा उठाया है।
(ग) बाएँ हाथ का खेल- श्वेता के लिए यह सवाल बाएँ हाथ का खेल है।
(घ) जान बख्श देना- हम भारतीय इतने दरियादिल हैं कि अपने दुश्मनों की भी जान बख्श देते हैं।
प्रश्न 8.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए :
‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में गांधीजी के संदर्भ में दो प्रकार के सोने की चर्चा क्यों की गई है और कैसे कहा जा सकता है कि गांधीजी गिन्नी का सोना थे? अपना तर्कसम्मत व्यक्त कीजिए । [5]
उत्तर:
‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में गांधीजी के संदर्भ में आदर्शवाद और व्यवहारवाद को समझाने के लिए दो प्रकार के
सोने की चर्चा की गई है। शुद्ध सोना बिलकुल शुद्ध होता है, इसमें मिलावट नहीं होती। जबकि गिन्नी के सोने में ताँबे की मिलावट होती है। गिन्नी का सोना शुद्ध सोना से अधिक मजबूत और चमकदार होता है। शुद्ध सोना जहाँ आदर्शवाद का प्रतीक है, वहीं गिन्नी का सोना व्यवहारवाद का ।
गांधीजी व्यावहारिकता को पहचानते थे। उसकी कीमत जानते थे। इसलिए वह अपने विलक्षण आदर्शों को चला पाए। वह कभी आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे बल्कि व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वह सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि गांधीजी गिन्नी का सोना थे।
अथवा
पढ़ाई और परीक्षाओं के प्रति बड़े भाई साहब और छोटे भाई के दृष्टिकोण में क्या मौलिक अंतर है? आपके विचार से दोनों में सामंजस्य किस प्रकार बिठाया जा सकता है? [5]
उत्तर:
बड़े भाई के अनुसार बिना कठिन परिश्रम के विद्या प्राप्त नहीं की जा सकती। वह कहते थे कि खेलने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। वे स्वयं भी खेल-तमाशे में नहीं जाते थे। परीक्षा में पास होने का उनके अनुसार एक ही तरीका था – रटंत विद्या । छोटे भाई का मन पढ़ने में बिलकुल नहीं लगता था। उसके लिए किताब लेकर बैठना कठिन था। उसकी रुचि पढ़ाई से अधिक खेलने-कूदने में थी । उसे अपने साथियों के साथ घूमने-फिरने में आनंद आता था। छोटा भाई पढ़ाई में कम और खेल में अधिक समय देकर भी अच्छे अंक प्राप्त कर कक्षा में प्रथम आता रहा। मेरे विचार से विद्यार्थियों को रटंत विद्या का अनुसरण नहीं करना चाहिए। उन्हें खेलकूद और पढ़ाई में समन्वय स्थापित करना चाहिए । उन्हें खेल के अतिरिक्त पढ़ाई के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व समझना चाहिए। उन्हें समय सारणी बना कर खेल और पढ़ाई के समय को नियत करना आवश्यक है।
प्रश्न 11.
लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए : [3 × 2 = 6]
(क) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है? ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं से कैसे बचा जा सकता है?
(ख) समाज में समरसता बनाए रखने के लिए टोपी और इफ़्फ़न जैसे पात्रों का होना आवश्यक है – तीन तर्क देकर पुष्टि कीजिए ।
उत्तर:
(क) एक महंत से समाज को यह अपेक्षा होती है कि वह अपना जीवन एवं सर्वस्व भगवान को अर्पित कर चुका है तथा अब उसका जीवन समाज की धरोहर है। उसका जीवन सात्विक तथा आचरण पवित्र होना चाहिए जिससे वह समाज के लिए आदर्श बन सके। प्रस्तुत कहानी में महंतों को सामाजिक अभिशाप के रूप में चित्रित किया गया है। ठाकुरबाड़ी का लालची और दबंग महंत हरिहर काका का जबरन अपहरण करके उन्हें कैद कर लेता है तथा उनकी बुरी तरह पिटाई करवाता है। यही नहीं वह ज़बरदस्ती हरिहर काका से उनकी ज़मीन के कागज़ात पर हस्ताक्षर करवा कर उनकी ज़मीन हड़पने की साज़िश भी करता है ।
(ख) आज के समाज में समरसता बनाए रखने के लिए टोपी और इफ़्फ़न जैसे पात्रों को होना आवश्यक है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क हैं :
(i) इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला में निस्वार्थ प्रेम है। उनके मन में धर्म के कारण कोई मतभेद नहीं है।
(ii) टोपी शुक्ला इफ़्फ़न की दादी का अत्यधिक सम्मान करता है। इफ़्फ़न की दादी भी टोपी शुक्ला के प्रति ममता का भाव रखती है।
(iii) इफ़्फ़न की दादी टोपी शुक्ला से ‘पूरब’ की भाषा में बात करती है और टोपी को भी इफ़्फ़न के घर में प्रयुक्त होने वाले अम्मी अब्बू, बाजी आदि शब्द बहुत अच्छे लगते हैं।