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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2020 (Series: JBB/1) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र चार खंडों में विभाजित किया गया है- क, ख, ग एवं घ। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- खण्ड-क में प्रश्न अपठित गद्यांश पर आधारित हैं।
- खण्ड – ख में प्रश्न संख्या 2 से 6 तक प्रश्न हैं ।
- खण्ड – ग में प्रश्न संख्या 7 से 11 तक प्रश्न हैं।
- खण्ड – घ में प्रश्न संख्या 12 से 16 तक प्रश्न हैं।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रम से लिखिए।
- उत्तर संक्षिप्त तथा क्रमिक होना चाहिए और साथ ही दी गई शब्द सीमा का यथासंभव अनुपालन कीजिए।
- प्रश्न-पत्र में समग्र पर कोई विकल्प नहीं है। तथापि दो-दो अंकों वाले 2 प्रश्नों में, तीन अंक वाले 1 प्रश्न में और पाँच-पाँच अंकों वाले 6 प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए सही विकल्प का ध्यान रखिए।
- इसके अतिरिक्त, आवश्यकतानुसार, प्रत्येक खण्ड और प्रश्न के साथ यथोचित निर्देश दिए गए हैं।
खण्ड ‘क’
SET 1 Code No. 4/1/1
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
मानव सभ्यता पर औद्योगिक क्रांति की धमक अभी थमी भी नहीं कि एक नई तकनीकी क्रांति ने अपने आने की घोषणा कर दी है। ‘नैनो- तकनीक’ के समर्थक दावा करते हैं कि जब यह अपने पूरे वजूद से आएगी तो धरती का नामोनिशान मिट जाएगा और नैनो रोबोट की स्वनिर्मित फ़ौज पूरी तरह क्षत-विक्षत शव को पलक झपकते ही चुस्त-दुरुस्त इंसान में तबदील कर देगी। दूसरी ओर नैनो- तकनीक की असीमित शक्ति से आशंकित इसके विरोधी इसे मिस्र के पिरामिडों में सोई ममियों से भी ज़्यादा अभिशप्त समझते हैं। इन दोनों अतिवादी धारणाओं के बीच इतना अवश्य कहा जा सकता है कि हम तकनीकी क्रांति के एक सर्वथा नए मुहाने पर आ पहुँचे हैं जहाँ उद्योग, चिकित्सा, दूर-संचार, परिवहन सहित हमारे जीवन में शामिल तमाम तकनीकी जटिलताएँ अपने पुराने अर्थ खो देंगी। इस अभूतपूर्व तकनीकी बदलाव के सामाजिक- सांस्कृतिक निहितार्थ क्या होंगे, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा।
आदमी ने कभी सभ्यता की बुनियाद पत्थर के बेडौल हथियारों से डाली थी । अनगढ़ शिलाओं को छीलकर उन्हें कुल्हाड़ों और भालों की शक्ल में ढाला और इस उपलब्धि ने उत्पादकता की दृष्टि से उसे दूसरे जंतुओं की तुलना में लाभ की स्थिति में ला खड़ा किया। औज़ारों को बेहतर बनाने का यह सिलसिला आगे कई विस्मयकारी मसलों से गुज़रा और औद्योगिक क्रांति ने तो मुनष्य को मानो प्रकृति के नियंत्रक की भूमिका सौंप दी। तकनीकी कौशल की हतप्रभ कर देने वाली इस यात्रा में एक बात ऐसी है, जो पाषाण युग के बेढब हथियारों से चमत्कारी माइक्रोचिप निर्माण तक एक जैसी बनी रही। हम अपने औज़ार, कच्चे माल को तराशकर बनाते हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि सारे पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बने हैं, लेकिन पदार्थों के गुण इस बात पर निर्भर करते हैं कि उनमें परमाणुओं को किस तरह सजाया गया है। कार्बन के परमाणुओं की एक खास बनावट से कोयला तैयार होता है, तो दूसरी खांस बनावट उन्हें हीरे का रूप दे देती है। परमाणु और अणुओं को इकाई मानकर मनचाहा उत्पाद तैयार करना ही ‘नैनो- तकनीक’ का सार है।
(क) नैनो- तकनीक के समर्थकों ने क्या संभावनाएँ व्यक्त की हैं? [2]
(ख) इसकी असीमित शक्ति से आशंकित विरोधियों का क्या मत है? इस पर टिप्पणी कीजिए । [2]
( ग ) ‘नैनो- तकनीक’ से आप क्या समझते हैं? [2]
(घ) मानव प्रकृति का नियंत्रक कैसे बन गया ? [2]
(ङ) हीरे और कोयले में अंतर क्यों है? [1]
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
उत्तर:
(क) ‘नैनो तकनीक’ के समर्थकों ने ‘नैनो-तकनीक’ के विषय में यह संभावना व्यक्त की है कि जब यह तकनीक पूर्ण रूप से विकसित हो जाएगी, तो धरती का नामोनिशान मिट जाएगा। साथ ही नैनो रोबोट की स्वनिर्मित फौज पूरी तरह से नष्ट शरीर को क्षण भर में पुनः चुस्त-दुरुस्त मनुष्य में परिवर्तित कर देगी।
(ख) ‘नैनो तकनीक, की असीमित शक्ति से आशंकित विरोधियों का मत है कि यह तकनीक मिस्र के पिरामिडों में सोई ममियों से भी कहीं अधिक अभिशप्त है।
(ग) परमाणु और अणुओं को इकाई मानकर मनचाहा उत्पाद तैयार कर सकना ही नैनो- तकनीक है।
(घ) मानव सभ्यता का विकास बेडौल पत्थरों के हथियारों के निर्माण से माना जाता है। मनुष्य ने शिलाओं, जानवरों हड्डियों आदि का प्रयोग करके हथियारों का निर्माण किया। उसके इस कार्य ने उसे दूसरे जंतुओं से अलग कर दिया। इस प्रकार औज़ारों के निर्माण को बेहतर करने वाली प्रवृति ने मानव को प्रकृति का नियंत्रक बना दिया ।
(ङ) हीरे और कोयले में कार्बन के परमाणुओं की बनवाट अलग-अलग है। जिस कारण ये एक-दूसरे से भिन्न हैं।
(च) शीर्षक – ‘ नैनो तकनीक – एक परिचय’।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 2.
निम्नांकित वाक्यों में रेखांकित पदों का परिचय दीजिए । [1 × 4 = 4]
(क) हम स्वतंत्रता का स्वागत करते हैं।
(ख) मैं चाहता हूँ तुम विद्वान बनो ।
(ग) वहाँ चार छात्र बैठे हैं।
(घ) तुम सदा सत्य बोलो।
उत्तर:
(क) स्वतंत्रता का – भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कारक ।
(ख) मैं – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक।
(ग) चार – संख्यावाचक विशेषण, क्रमसूचक, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘छात्र’ विशेष्य का विशेषण ।
(घ) सत्य – गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [1 × 3 = 3]
(क) कई बार मुझे डाँटने का अवसर मिलने पर भी बड़े भाई साहब चुप रहे। ( संयुक्त वाक्य )
(ख) कई सालों से बड़े-बड़े बिल्डर समंदर को पीछे धकेल कर उसकी ज़मीन को हथिया रहे थे। ( मिश्र वाक्य )
(ग) आपने जो कहा, मैंने सुन लिया । ( सरल वाक्य )
उत्तर:
(क) मुझे डाँटने के कई अवसर मिले परंतु बड़े भाई साहब चुप रहे ।
(ख) बड़े – बड़े बिल्डर कई सालों से समंदर को पीछे धकेल रहे थे क्योंकि उन्हें ज़मीन हथियानी थी।
(ग) मैंने आपका कहा सुन लिया।
प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) सप्तर्षि
(ii) शरणागत
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) लंबा है उदर जिसका (गणेश)
(ii) तन-मन-धन
उत्तर:
(क) (i) सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह – द्विगु समास
(ii) शरणागत – शरण को आगत- तत्पुरुष समास्
(ख) (i) लंबा है उदर जिसका (गणेश) – लंबोदर बहुव्रीहि समास
(ii) तन-मन-धन – तन और मन और धन – द्वंद्व समास
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) मैंने एक ऐसा प्रश्न पूछा कि सोहन का मुँह बंद हो गया।
(ख) मुझे सुधा की फूहड़ बातें फूटी आँख नहीं सुहातीं ।
उत्तर:
(क) मुँह बंद होना ( चुप होना)
(ख) फूटी आँख न सुहाना ( बिल्कुल पसंद न होना)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1 × 4 = 4]
(क) चेहरा मुरझाना।
(ख) आँखों से बोलना ।
(ग) काम तमाम कर देना ।
(घ) जान बख्श देना।
उत्तर:
(क) चेहरा मुरझाना – गणेश ने अपनी परीक्षा में असफल होने की खबर सुनी तो उसका चेहरा मुरझा गया।
(ख) आँखों से बोलना – रवीना आँखों से बोल कर ही सारी बात समझा देती है।
(ग) काम तमाम कर देना- आतंकवादियों को देखते ही सैनिकों ने उनका काम तमाम कर दिया ।
(घ) जान बख्श देना – भारत सरकार ने पकड़े हुए पाकिस्तानी सैनिकों की जान बख्श दी।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए- [2 × 3 = 6]
(क) ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर लिखिए कि 26 जनवरी, 1931 का दिन विशेष क्यों था?
(ख) छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या लाभ उठाया? आपके विचार से छोटे भाई का व्यवहार उचित था या नहीं, तर्क सहित उत्तर लिखिए।
(ग) कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था ?
(घ) ‘प्रेम सबको जोड़ता है।’ ‘तताँरा – वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर:
(क) पहली बार गुलाम भारत में 26 जनवरी 1930 को देश का स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया था। इसमें कलकत्ता निवासियों ने सम्पूर्ण सहभागिता नहीं दी थी। 26 जनवरी 1931 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में कलकत्ता में देश का दूसरा स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया। अब सभी प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ गए थे इसलिए यह दिन महत्वपूर्ण था । इस दिन नगर के लोगों ने झंडा फहराने के लिए अनेक स्थानों पर सभाओं का आयोजन किया था। कलकत्ता के लोगों में इतना उत्साह था मानो देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो चुकी हो।
(ख) छोटा भाई बड़े भाई की इज्ज़त करता था तथा बड़े भाई का व्यवहार छोटे भाई के प्रति नरम था। जब छोटा भाई अव्वल आया तब उसका आत्मसम्मान बढ़ गया और वह बड़े भाई से छिपकर आज़ादी से खेलकूद करने लगा । उसे लगने लगा कि बड़े भाई को उसे डाँटने का अधिकार नहीं है। अतः उसका पढ़ाई से ध्यान हटने लगा।
(ग) कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में वजीर अली पर नज़र रखने व उसे गिरफ्तार करने के लिए लगा हुआ था।
(घ) ‘प्रेम सबको जोड़ता है।’ यह बात ‘तताँरो – वामीरों नामक कथा पढ़कर ज्ञात होता है। लेखक के अनुसार जो व्यक्ति समाज को जोड़ने के लिए अपने प्रेम का तथा अपने जीवन का बलिदान करता है, वह उस समाज के द्वारा याद रखा जाता है और इस प्रकार वह प्रेम सबको जोड़ता है।
प्रश्न 8.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए [5]
‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ से क्या अभिप्राय है? गांधीजी ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ थे, कैसे?
उत्तर:
जो लोग आदर्श रूपी शुद्ध सोने के साथ व्यावहारिकता रूपी ताँबा मिला देते हैं वे ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहलाते हैं।
गाँधी जी प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट थे। जीवन में व्यावहारिकता का भी महत्व है परन्तु यह व्यावहारिकता आदर्शवादिता की सहयोगी होनी चाहिए। शुद्ध. आदर्श खरे सोने की तरह होते हैं। गाँधी जी व्यावहारिकता को पहचानते थे तथा उसकी कीमत जानते थे। इसलिए वह अपने विलक्षण आदर्शों को चला पाए। वे कभी आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे बल्कि व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे। उनकी गति नीचे से ऊपर उठने की ओर थी न कि ऊपर से नीचे गिरने की ओर ।
अथवा
प्रकृति के साथ मानव के दुर्व्यवहार और उसके परिणामों को ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में लेखक ने बतलाया है कि इस धरती पर मनुष्य पशु-पक्षी, नदी, पर्वत, समुद्र आदि सबकी हिस्सेदारी है। मानव जाति ने अपनी बुद्धि से इसमें बड़ी-बड़ी दीवारें बना दीं। मनुष्य की बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आबादी बढ़ने से लोगों की दैनिक आवश्यकताएँ बढ़ने लगीं। इसलिए उन्होनें प्रकृति से छेड़छाड़ करनी शुरु कर दी जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा होने लगा। इससे अनेक समस्याएँ सामने आने लगीं। गर्मी में अधिक गर्मी, वर्षा का न होना, भूकंप आना, तथा सूखा आदि प्राकृतिक असंतुलन के ही परिणाम हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए- [2 × 3 = 6]
(क) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि विपदा में ईश्वर से क्या चाहता है और क्यों ?
(ख) ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
(ग) कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श क्यों देते हैं?
(घ) ‘द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर ।’ इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
(क) आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन में भय का निवास या उससे मुक्ति । कवि का कहना है कि ईश्वर से वह यह नहीं कहता कि उस पर कोई संकट न आए, उसके जीवन में कोई कष्ट – दुख न आए बल्कि वह यह चाहता है कि उसमें इन विपदाओं को सहने की शक्ति हो तथा हर परिस्थिति में ईश्वर उसके साथ हो।
(ख) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि सुमित्रानन्दन पंत ने पर्वतीय क्षेत्र की वर्षा ऋतु के मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है। पावस ऋतु में वर्षा का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में आकाश से गिरती हुई वर्षा ऐसी लगती है जैसे भूमि पर आकाश टूट पड़ा है।
(ग) कबीर निदंक को अपने निकट रखने का परामर्श इसलिए देते हैं क्योंकि जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने निकट ही रखना चाहिए। वह हमारे स्वभाव को बिना साबुन और पानी के निर्मल बना देता है। उसकी निंदा से हम अपनी कमियाँ जान जाते हैं तथा उन्हें सुधार कर अपना जीवन सफल बना सकते है ।
(घ) इस पद में मीरा कह रही हैं कि हे प्रभु! जिस प्रकार आपने द्रोपदी का वस्त्र बढ़ाकर भरी सभा में उसकी लाज रखी उसी प्रकार मेरी भी रक्षा कीजिए।
प्रश्न 10.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए- [5]
विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? ‘तोप’ कविता के आधार पर स्पष्ट करते तोप की विशेषताएँ भी लिखिए ।
उत्तर:
‘तोप’ कविता हमें याद दिलाती है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत भी किया था, लेकिन व्यापार करते-करते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। भले ही अंग्रेज़ों की तोपों ने इस देश को आजाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाज़ों को मौत के घाट उतारा था पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उनकी सत्ता को उखाड़ फेंका। उनके द्वारा निर्मित तोपों को निस्तेज कर दिया। भविष्य के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए कि फिर कोई विदेशी हमारे देश में घुसपैठ करके हमारा शासक न बन बैठे। ‘तोप’ कविता प्रतीकात्मक कविता है। इसमें तोप, चिड़िया, बच्चे आदि प्रतीकों का प्रयोग किया गया है। किसी भी स्थिति का वर्णन करने के लिए उससे मिलते-जुलते प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है जो प्रकृति से संबंधित होते हैं। हमारे पूर्वजों की, उनके पूर्व अनुभवों की और पुरानी परंपराओं व संस्कारों की धरोहर नई पीढ़ी को मिलती है जिससे नई पीढ़ी उनके बारे में जान सकती है, उनके अनुभवों से कुछ सीख सकती है और उनकी बनाई श्रेष्ठ परंपराओं का पालन कर सकती है। इसीलिए इन्हें बचाकर रखना हमारा परम कर्त्तव्य है।
अथवा
‘मनुष्यता’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाइए ।
उत्तर:
प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती है। वह दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि हमें मृत्यु से भयभीत नहीं होना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें हमारी मृत्यु के पश्चात् भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्य बंधु हैं, अतः हमें दूसरों की व्यथा हरने का उपाय करना चाहिए। हमें स्वयं आगे बढ़ना चाहिए तथा अन्य लोगों को भी जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के लिए सहयोग करना चाहिए।
प्रश्न 11.
लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए- [3 × 2 = 6]
(क) टोपी ने इफ़्फ़न की दादी से अपनी दादी बदलने की बात क्यों कही होगी? इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?
(ख) लेखक को स्कूल जाने के नाम से उदासी क्यों आती थी? ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। आपको स्कूल जाना कैसा लगता है और क्यों?
उत्तर:
(क) टोपी ने इफ़्फ़न की दादी से अपनी दादी बदलने की बात इसलिए कही होगी क्योंकि टोपी शुक्ला की दादी का स्वभाव बहुत सख्त व अनुशासनप्रिय था। वह हमेशा उसे डाँटती, फटकारतीं रहती थीं। इसके विपरीत उसे इफ़्फ़न की दादी से अधिक आत्मीयता थी । इफ़्फ़न की दादी उसे प्यार से अपने पास बैठाकर बातें करती थी तथा उन दोनों की भाषा भी एक थी । इफ़्फ़न के घर में टोपी शुक्ला को अपने घर से अधिक प्रेम और विश्वास मिलता था । सहज और निस्वार्थ प्रेम जीवन में सर्वाधिक महत्व रखता है। अतः टोपी दादी बदलना चाहता होगा। उपर्युक्त कथन से बाल मन की मनोवैज्ञानिक झलक स्पष्ट होती है। बच्चे सिर्फ प्यार और आत्मीयता के भूखे होते हैं। सामाजिक वैर, भाव, सांप्रदायिकता आदि से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं होता ।
(ख) नई श्रेणी में जाने का विद्यार्थियों को विशेष चाव होता है क्योंकि नई-नई किताबें पढ़ने को मिलती हैं और नई कक्षा में छात्रों के साथ अच्छा लगता है। लेकिन लेखक का मन उदास हो जाता था क्योंकि लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उसे पुरानी किताबों से पढ़ना पड़ता था । इन पुरानी किताबों से एक विशेष प्रकार की गंध आती थी जो उसके बालपन को उदास कर देती थी। उसकी उदासी का दूसरा कारण मुश्किल पढ़ाई और नए मास्टरों से पिटने का डर था। बड़े गेट से 10-15 गज़ दूर स्कूल के कमरों तक रास्ते में अलियार के झाड़ उगे थे। उनकी गंध भी लेखक के मन को उदास करती थी । हमें स्कूल जाना अच्छा लगता है क्योंकि स्कूल के सभी अध्यापक/अध्यापिका हमें बहुत प्यार से पढ़ाते हैं तथा हमें स्कूल में विद्या के ज्ञान के साथ विभिन्न प्रकार की चीज़े सीखने को मिलती हैं।
खण्ड ‘घ’
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत- बिंदुओं के आधार पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए: [6]
(क) सत्संगति –
• सत्संगति का अर्थ
• सत्संगति का महत्त्व
• कुसंगति से हानि
(ख) हमारी मेट्रो-
• भारत की प्रगति का नमूना
• लोकप्रियता के कारण
• मेट्रो का विस्तार
(ग) अनुशासन क्यों ?
• अर्थ
• आवश्यकता
• प्रभाव
उत्तर:
(क) सत्संगति
‘सत्संगति’ शब्द सत् तथा संगति दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका सरल अर्थ है अच्छी संगति । संगति का मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि घर के बड़े सदस्य अच्छी संगति में रहने के लिए ज़ोर देते हैं। अच्छी संगति में रहने से सद्गुणों का विकास होता है। सत्संगति हमें बुराई से अच्छाई की ओर ले जाती है। इससे मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है। अच्छी संगत जीवन को उन्नत बनाने, समाज में सम्मान तथा सफलता दोनों ही प्राप्त करने में हमारी सहायता करते हैं। बुरी संगति मुनष्य को बुराई की ओर ले जाती है, कुसंगति से ईर्ष्या, द्वेष, जलन, क्रोध, छल, कपट आदि भावनाएं एवं दोष उत्पन्न होते हैं। प्रायः लोग दूसरों के दुख को देखकर खुश होते हैं, इससे मनुष्य का मन कलुषित हो जाता है। बुरी संगति में रहने से सज्जन मनुष्य भी प्रभावित हो जाता है। इसलिए एक कहावत में कहा गया है, ” जैसी संगति कीजिए, तैसोई फल होत ” ।
(ख) हमारी मेट्रो
इस शताब्दी के प्रारम्भ तक भारत के किसी भी शहर में यात्रा करना बहुत कठिन होता था। आज यातायात के आधुनिक साधन मेट्रो ने यातायात की परिभाषा बदलकर रख दी है। हमारी मेट्रो देश के करोड़ों लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुई है तथा साथ ही वह भारत की प्रगति का बेजोड़ नमूना भी है। इसके कारण अब यात्रा करना बहुत सुविधापूर्ण हो गया है। मेट्रो से समय, धन व श्रम की बचत होती है तथा इसने प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी मदद की है। भारत में पड़ने वाली गरमी सरदी और बरसात में यह यातायात का सबसे सुविधापूर्ण साधन है। स्वयमित समय अंतराल पर चलना, वातानुकूलित, स्वचालित सीढ़ियाँ, साफ-सफाई, स्मार्ट कार्ड का उपयोग आदि इसकी लोकप्रियकता के कारण हैं। आज पूरे भारत में मेट्रो का विस्तार हो रहा है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, केरल, कोलकता इत्यादि में इसका जाल बिछाया जा चुका है। शीघ्र ही मेट्रो सेवा पूरे देश का गौरव बन जाएगी।
(ग) अनुशासन क्यों ?
अनुशासन का अर्थ नियम-बद्ध आचरण होता है अर्थात् ऐसी जीवन शैली जो हमारे द्वारा नियम पूर्वक व्यतीत की जाए। अनुशासन का प्रत्येक क्षेत्र में अपना ही महत्व होता है। जिस प्रकार किसी सेना में अनुशासनहीनता से समूचे राष्ट्र व जनता की जान खतरे में पड़ सकती है। ठीक उसी प्रकार खेल में अनुशासनहीनता से पराजय निश्चित है। अनुशासन ऐसा तत्व है जो जीवन के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। जो मनुष्य स्वयं को अनुशासित नहीं कर सकता, वह दूसरे के जीवन को क्या दिशा देगा? आज के मनुष्य का जीवन भाग-दौड़ से भरा है। उसके पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है। यदि वह अपना जीवन नियमपूर्वक बिताता है, तो इस भाग-दौड़ में उसके द्वारा स्वयं के लिए पर्याप्त समय निकाल पाना कठिन है। अनुशासन से शरीर स्वस्थ रहता है। सारे कार्य समय पर पूर्ण हो जाते है। अनुशासन का प्रभाव हमारे शरीर और जीवन में स्वतः दिखाई दे जाता है ।
प्रश्न 13.
आप विद्यालय की छात्र-परिषद् के सचिव हैं। स्कूल के बाद विद्यार्थियों को नाटक का अभ्यास करवाने के लिए अनुमति माँगते हुए प्रधानाचार्य को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सर्वोदय विद्यालय
नई दिल्ली- 110054
दिनांक : 10 अप्रैल, 20xx
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
सर्वोदय विद्यालय
कमलानगर, नई दिल्ली
विषय-विद्यार्थियों को नाटक का अभ्यास करवाने के लिए अनुमति माँगने हेतु ।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि हमारे विद्यालय में जो वार्षिक सम्मेलन होने जा रहा है उसमें एक नाटक का आयोजन किया जाएगा। परन्तु इसके अभ्यास हेतु हमें पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है। कारण यह है कि विद्यालय के निर्धारित समय पर अभ्यास करने से एक तो बच्चों की पढ़ाई का हरज़ा होता हैं तथा साथ ही नाटक का अभ्यास भी उचित ढंग से नहीं हो पाता। अतः विद्यालय के समय में अभ्यास करना संभव नहीं है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ सकता है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमें स्कूल के बाद, स्कूल में ही नाटक का अभ्यास करने की अनुमति दी जाए। इस तरह विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ नाटक के अभ्यास को भी समय दे पाएँगे। इसके लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगें।
सधन्यवाद !
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क० ख० ग०
सचिव छात्र परिषद्
अथवा
अस्पताल कर्मचारियों के सद्व्यवहार की प्रशंसा करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
17, सेक्टर-10
रोहिणी दिल्ली,
दिनांक : 10 अप्रैल, 20xx
सेवा में.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी
भीमराव अम्बेडकर अस्पताल
रोहिणी सेक्टर-6
विषय – अस्पताल कर्मचारियों के सद्व्यवहार की प्रशंसा करने हेतु ।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मेरा नाम जयकुमार है। पिछले सप्ताह मेरी बेटी सड़क दुर्घटना का शिकार होकर आपके अस्पताल में भर्ती हुई थी। मुझे इस बात की सूचना मिली तो मैं तुरंत अस्पताल पहुँच गया। परन्तु यह दुखद समाचार सुन कर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ। मुझे परेशानी की हालत में देखकर आपके अस्पताल के कर्मचारी संजय सिंह मेरे पास आए तथा उन्होंने मेरी बात धैर्यपूर्वक सुनी तथा उन्होंने मेरी हर संभव सहायता की। जब तक मेरी बेटी आपके अस्पताल में रही महिला कर्मचारियों ने भी उसका बहुत ध्यान रखा। उनका सहव्यवहार मेरे हृदय को छू गया।
अतः यह पत्र मैं अस्पताल के उन सभी कर्मचारियों के सद्व्यवहार की प्रशंसा करने हेतु लिख रहा हूँ। साथ ही आपसे निवेदन करता हूँ कि आप उन्हें यथासम्भव सम्मानित एवं पुरस्कृत करें।
सधन्यवाद
भवदीय
क० ख० ग०
प्रश्न 14.
आप अपनी कॉलोनी की कल्याण परिषद् के अध्यक्ष हैं। अपने क्षेत्र के पार्कों की साफ़-सफ़ाई के प्रति जागरूकता लाने हेतु कॉलोनीवासियों के लिए 40-50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए [5]
उत्तर:
अवंतिका, सेक्टर-1, रोहिणी दिल्ली – 110085 सूचना दिनांक : 10 अप्रैल, 20xx हमारे क्षेत्र में पार्कों की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके कारण पार्कों में जगह-जगह कूड़े-कचरे के ढेर लगे रहते हैं। जिस कारण मच्छर पैदा हो रहे हैं, तथा बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। पालतू जानवरों द्वारा होने वाली गंदगी में भी वृद्धि हो रही है। अतः आपसे निवेदन है कि पार्कों की सफाई पर विशेष ध्यान दें। यदि कोई भी व्यक्ति गंदगी करता पाया गया तो उसे ₹500 का जुर्माना देना पड़ेगा। हस्ताक्षर अ०ब०स अवंतिका कल्याण परिषद् |
अथवा
प्र०14.
विद्यालय की सचिव की ओर से ‘समय- प्रबन्धन’ विषय पर आयोजित होने वाली कार्यशाला के लिए 40-50 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
मांउट आबू पब्लिक स्कूल सेक्टर 18, रोहिणी दिल्ली – 110085 दिनांक : 10 अप्रैल, 20xx सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में ‘समय प्रबंधन’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला दिनांक 15.05.20x x को सुबह 10.00 बजे से 1.00 बजे तक विद्यालय के मैदान में आयोजित होगी। इच्छुक विद्यार्थी इसमें भाग लेने के लिए कमरा नम्बर 10 में हिंदी अध्यापक श्री विमल शर्मा से संपर्क कर प्रतियोगिता संबंधित आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हस्ताक्षर अ०ब०स० सचिव |
प्रश्न 15.
‘एकता में बल’ विषय पर लघु कथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
एकता में बल
एक किसान था। उसके चार बेटे थे जो सदैव आपस में लड़ते रहते थे। किसान सोचता रहता कि यदि मैं मर गया तो ये सभी आपस में लड़कर मेरे द्वारा अर्जित धन-संपत्ति को बर्बाद कर देंगे। जब किसान की मृत्यु का समय निकट आया तब उसने अपने चारों बेटों को बुलाया और उनसे एक लकड़ी का गट्ठर मंगवाया । फिर उसने चारों बेटों को बारी-बारी से गट्ठर को तोड़ने को कहा परंतु उसे कोई नहीं तोड़ पाया। इसके बाद किसान ने उन्हें गट्ठर में से एक-एक लकड़ी निकालकर तोड़ने को कहा। चारों ने किसान के कहे अनुसार लकड़ियों को निकाला और तोड़ दिया। इस बार लकड़ियाँ टूट गईं। लकड़ियों के टूटते ही किसान मुस्कुराने लगा। उसने अपने बेटों से कहा कि यही बात मैं तुम चारों को समझाना चाहता था कि यदि तुम लोग आपस में ऐसे ही लड़ते रहोगे तो कोई भी तुम लोगों में फूट डालकर तुमको अलग कर सकता है। परंतु यदि तुम आपस में मिलकर एकता से रहोगे तो तुम लोगों को कोई भी अलग नहीं कर सकता । तुम लोगों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। यह सुनकर किसान के बेटों की आंखें खुल गईं। उन्होंने प्रण किया कि वे सब आपस में मिल-जुलकर रहेंगे क्योंकि अब वे समझ गये थे कि एकता में ही बल है ।
अथवा
आप किसी दूसरे शहर से अपने घर लौट रहे थे, आते समय आप अपना एक बैग बस में भूल गए। उसे पुनः प्राप्त करने हेतु संबंधित बस-विभाग के उच्चतम अधिकारी को अपनी यात्रा, बस संख्या, गंतव्य, सामान आदि का विवरण देते हुए ई-मेल लिखिए |
उत्तर:
From : [email protected]
To : [email protected]
Cc/Bcc : (आवश्यकतानुसार CC और BCC की लाइन भरा जाता है | )
विषय : बस में बैग गुम होने की सूचना हेतु ।
महोदय
निवेदन है कि कल, दिनांक 5 मई, सुबह 8:15 बजे मैं चंडीगढ़ से दिल्ली आने वाली बस में बैठा। बस दिल्ली परिवहन निगम की थी तथा उसका नं० DL6780 था। मेरे पास बहुत सारा सामान था। जब मैं दिल्ली पहुँचा और बस से उतरा तो गलती से मेरा एक बैग बस में ही रह गया। उस बैग में मेरे ₹2,000, मेरे ऑफिस की कुछ फाइलें, मेरे कपड़े तथा मेरी एक टाइटन की घड़ी थी। मेरा बैग काले रंग का है और उस पर लाल रंग की पट्टी बनी हुई है और एडीडास लिखा हुआ है।
महोदय आपसे करबद्ध अनुरोध है कि तत्काल कार्यवाही कर यह सुनिश्चित करें कि यदि आपके विभाग के किसी कर्मचारी को मेरा बैग मिला है अथवा नहीं। यदि मेरा बैग आपकी बस के किसी कर्मचारी को मिला हो तो कृप्या मेरे निम्नलिखित मोबाइल नम्बर पर मुझसे सम्पर्क करे ताकि मैं आपके कार्यालय में आकर अपना बैग प्राप्त कर सकूँ। आपकी सहायता के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा ।
प्रश्न 16.
कोई कंपनी ‘लेखनी’ नाम का नया पेन बाज़ार में लाना चाहती है। उसके लिए लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
लेखनी पेन • मात्र ₹10 में उपलब्ध • दे सुंदर लिखावट • सुन्दर लिखावट, स्वाभाविक गति • वॉटरप्रूफ स्याही • हाथ दुखने के कष्ट से मुक्ति • विभिन्न रंगों में उपलब्ध स्थान : 1732 तिलक नगर, नई दिल्ली। प्राप्ति के लिए संपर्क करें -978xxxxxxx |
प्रश्न 17.
ए. टी. एम. केन्द्रों पर सावधानी बरतने संबंधी निर्देश देते हुए पंजाब नेशनल बैंक की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
ए. टी. एम. केन्द्रों पर सावधानी बरतने हेतु दिशा-निर्देश • ए. टी. एम. बूथ में हेलमेट पहनकर अन्दर न जाएँ। • ए.टी.एम बूथ में एक समय में एक ही व्यक्ति अन्दर जाए । • ए.टी.एम. बूथ का प्रयोग करते समय किसी अनजान व्यक्ति को अन्दर न आने दें। • ए. टी. एम. बूथ छोड़ते समय अपने लेन-देन की रसीदें अपने साथ ले जाएं। • ए.टी.एम. मशीन में अपना पासवर्ड छिपा कर डालें । • ए.टी.एम. मशीन से निकाली नकदी को बूथ के बाहर खड़े होकर न गिनें। पंजाब नेशनल बैंक द्वारा जनहित में जारी |
SET II Code No. 4/1/2
निम्नलिखित प्रश्नों को छोड़कर शेष सभी प्रश्न सेट में पूछे गए हैं।
खण्ड – ‘ख’
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों का पद-परिचय दीजिए [1 × 4 = 4]
(क) लखनऊ स्टेशन से गाड़ी छूट रही थी । ?
(ख) तुम्हें भागवत ध्यान से पढ़नी चाहिए ।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ इस मंगलध्वनि के नायक थे।
(घ) अरे ! तुम भी आ गए?
उत्तर:
(क) गाड़ी – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन ।
(ख) तुम्हें – सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन ।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, कर्ता ।
(घ) अरे ! – विस्मयादिबोधक एकवचन, पुल्लिंग।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [1 × 3 = 3]
(क) महंत की चिकनी-चुपड़ी बातों के भीतर की सच्चाई भी अब वह जान गए थे। ( मिश्र वाक्य में )
(ख) काका को बंधनमुक्त करके मुँह से कपड़े निकाले गए । ( संयुक्त वाक्य में )
(ग) हरिहर काका ने ठाकुरबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की जो काली करतूते थीं उनका पर्दाफाश करना शुरू किया। ( सरल वाक्य में )
उत्तर:
(क) महंत की चिकनी चुपड़ी बातों के भीतर जो सच्चाई थी, अब उसे भी वह जान गए थे।
(ख) काका को बंधनमुक्त किया गया और मुँह से कपड़े निकाले गए।
(ग) हरिहर काका ने ठाकुरबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की काली करतूतों का पर्दाफाश करना शुरू किया।
प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) विद्यालय
(ii) निडर
(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम भी लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) पीला है जो अंबर
(ii) मृग के समान नयन है जिसके
उत्तर:
(क) (i) विद्यालय – विद्या का आलय – संबंध तत्पुरूष
(ii) निडर – बिना डर का – अव्ययीभाव समास
(ख)
(i) पीला है जो अंबर – पीतांबर – कर्मधारय
(ii) मृग के समान नयन है जिसके – मृगनयनी – बहुव्रीहि समास
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) गुरूजी से मार्गदर्शन मिला तो मेरे मन का सारा अँधियारा मिट गया।
(ख) वीर शहीदों के बलिदानों को याद करके हम सभी की आँखें भर आईं।
उत्तर:
(क) अँधियारा मिटना ( अज्ञान दूर होना)
(ख) आँख भर आना (आँसू आना)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1 × 4 = 4]
(क) आगा-पीछा न देखना
(ग) आँख चुराना
(ख) हवा से बातें करना
(घ) आसमान के तारे तोड़ना ।
उत्तर:
(क) आगा-पीछा न देखना- काम आरंभ करने से पहले उसका आगा-पीछा सोच लेना चाहिए।
(ख) हवा से बातें करना – महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक हवा से बातें करता था।
(ग) आँख चुराना – सत्य बोलने वाले किसी से आँखें नही चुराते ।
(घ) आसमान के तारे तोड़ना- हमने तो कुछ नही किया पर आप कौन से आसमान के तारे तोड़ लाए हैं।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए:- [5]
‘नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई (मुंबई) में देखने को मिला था।’ निदा फ़ाज़ली ने इस घटना के पीछे किन्हें और क्यों ज़िम्मेदार ठहराया था ? प्रकृति-प्रकोप से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
‘नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई (मुंबई) में देखने को मिला था। निदा फ़ाज़ली ने इस घटना के पीछे प्रकृति के साथ मनुष्य के खिलवाड़ को ज़िम्मेदार ठहराया है। लेखक के अनुसार समुद्र महान है वह मनुष्य के खिलवाड़ को सहन करता रहा, परंतु अब उसकी सहनशक्ति की सीमा पार हुई है। एक समय उसका क्रोध भी विकराल रूप में प्रदर्शित हुआ। कई सालों से बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी ज़मीन हथिया रहे थे। बेचारा समुद्र सिमटता चला गया। परंतु जब जगह कम पड़ी तो समुद्र को गुस्सा आ गया। गुस्से में उसने अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाजों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया।
प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :
(i) प्रकृति की सभी जीवित मृत, चर-अचर वस्तुओं के प्रति हमें संवेदनशील होना चाहिए ।
(ii) प्रकृति को अपनी भोग की वस्तु नहीं समझें तथा कुदरती चीज़ों में हस्तक्षेप नहीं करें।
अथवा
‘वज़ीर अली की आज़ादी बहुत खतरनाक है’ – लेफ्टीनेंट ने यह किन कारणों से कहा ? किन लोगों के लिए वज़ीर अली की आजादी सुकून देने वाली थी और क्यों? [5]
उत्तर:
लेफ्टीनेंट ने जाना कि वज़ीर अली नेपाल जाकर अपनी शक्ति मज़बूत करना चाहता है। इसके साथ ही वह कंपनी सरकार पर अफगानों के आक्रमण का इंतजार कर रहा है। जब कंपनी सरकार पर अफगानों का आक्रमण होगा तब वह भी कंपनी सरकार पर आक्रमण करेगा। वज़ीर अली का इरादा अपने खोए हुए अवध राज्य को पुनः प्राप्त करना तथा अंग्रेजों को भारत से भगाना था । इन्ही कारणों से लेफ्टीनेंट को वज़ीर अली की आज़ादी बहुत खतरनाक लगी।
वजीर अली की आज़ादी भारत के लोगों के लिए सुकून देने वाली थी क्योंकि वज़ीर अली एक जांबाज सिपाही था। वह हर हालत में अंग्रेजों को भारत से निकालना चाहता था। भारत की जनता को अनेक शोषण से मुक्त कराना चाहता था। इसलिए वज़ीर अली की आज़ादी भारतीयों को सुकून दे रही थी ।
SET III Code No. 4/1/3
निम्न प्रश्नों के अतिरिक्त शेष सभी प्रश्न Set – I और Set-II में पूछे गए हैं।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों का पद – परिचय दीजिए । [1 × 4 = 4]
(क) उसका लखनवी अंदाज़ लेखक को प्रभावित न कर सका।
(ख) उसने प्राकृतिक दृश्यों को देखा।
(ग) तू यहाँ क्यों खड़ा है?
(घ) रमा कमला नगर जा रही है।
उत्तर:
(क) लखनवी – विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
(ख) देखा – सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन ।
(ग) तू – पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन ।
(घ) कमला नगर- व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [1 × 3 = 3]
(क) लड़कों का एक झुंड पतंग के पीछे-पीछे दौड़ा चला आ रहा था । ( मिश्र वाक्य में )
(ख) भाई साहब ने उछलकर पतंग की डोर पकड़े ली । ( संयुक्त वाक्य में )
(ग) ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी, जिसमें खुला चैलेंज दिया गया हो। ( सरल वाक्य में )
उत्तर:
(क) लड़कों का एक झुंड था जो पतंग के पीछे-पीछे दौड़ा चला आ रहा था ।
(ख) भाई साहब उछले और उन्होंने पतंग की डोर पकड़ ली।
(ग) पहले किसी सभा में खुला चैलेंज नहीं दिया गया था।
प्र04.
(क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) पत्र व्यवहार
(ii) चक्रधर
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए- [1 × 2 = 2]
(i) महान् है जो नायक
(ii) घर और परिवार
उत्तर:
(क) (i) पत्र व्यवहार – पत्र का व्यवहार – संबंध तत्पुरुष ।
(ii) चक्रधर – चक्र को धारण करने वाला अर्थात् विष्णु – बहुव्रीहि समास ।
(ख) (i) महान है जो नायक – महानायक – कर्मधारय ।
(ii) घर और परिवार – घर – परिवार – द्वंद्व समास ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए- [1 × 4 = 4]
(क) शुद्ध आदर्श भी सोने के जैसे समान ही होते हैं।
(ख) सिपाही लौटकर मुड़ा और कर्नल को घूरता हुआ चला गया।
(ग) मैं यह बात तुम्हारे को नहीं बता सकता।
(घ) मुझे सौ रुपये चाहिएँ ।
उत्तर:
(क) शुद्ध आदर्श भी सोने के समान ही होते हैं।
(ख) सिपाही मुड़ा और कर्नल को घूरता हुआ चला गया।
(ग) मैं यह बात तुमको नहीं बता सकता।
(घ) मुझे सौ रुपये चाहिए ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1 × 4 = 4]
(क) हाथ पाँव फूल जाना
(ख) प्राणांतक परिश्रम करना
(ग) सिर पर तलवार लटकना
(घ) सपनों के महल बनाना ।
उत्तर:
(क) हाथ पाँव फूल जाना – दरवाज़े पर आए मकान मालिक को देखकर किराएदार के हाथ-पाँव फूल गए।
(ख) प्राणांतक परिश्रम करना वही विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा करते हैं जो प्राणांतक परिश्रम करते हैं।
(ग) सिर पर तलवार लटकना – इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए।
(घ) सपनों के महल बनाना- केवल सपनों के महल बनाने से सफलता नहीं मिलती मित्र, उसके लिए कुंदन की तरह आग में तपना पड़ता है।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 10.
लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए- [5]
‘मनुष्यता’ कविता में कवि किन-किन मानवीय गुणों का वर्णन करता है? आप गुणों को क्यों आवश्यक समझते हैं? तर्क सहित उत्तर लिखिए। [5]
उत्तर:
प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती है। वह दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि हमें मृत्यु से भयभीत नहीं होना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें हमारी मृत्यु के पश्चात् भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्य बंधु हैं, अतः हमें दूसरों की व्यथा हरने का उपाय करना चाहिए। हमें स्वयं आगे बढ़ना चाहिए तथा अन्य लोगों को भी जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के लिए सहयोग करना चाहिए।
अथवा
सीमा पर भारतीय सैनिकों के द्वारा सहर्ष स्वीकारी जा रही कठिन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए और प्रतिपादित कीजिए कि ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत सैनिकों के हृदय की आवाज़ है। [5]
उत्तर:
‘कर चले हम फिदा’ कविता में कवि कहते हैं कि सैनिकों ने स्वतंत्रता की प्राप्ति हेतु अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। सीमा पर जब भारतीय सैनिक युद्ध कर रहे थे तब बर्फीली हवाओं में उनकी सांस रुकने लगती थी। नब्ज़ धीमें होने लगी थी किन्तु वे युद्ध भूमि में मरते दम तक तैनात रहे क्योंकि वे इस युद्ध में भारत को परास्त नहीं होने दे सकते थे। उनके हृदय से यह आवाज़ उठती है कि चाहे उनका सर कट जाए इसकी उन्हें कोई चिंता नहीं है, लेकिन उन्होंने मरते दम तक भारत के गौरव को बनाए रखा। अपने शरीर को न्योछावर कर भारत की स्वतंत्रता को कायम रखा। अब इस स्वतंत्रता को बनाए रखना आने वाली पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है।
प्रश्न 11.
लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए- [5]
(क) हरिहर काका अनपढ़ थे लेकिन अपने अनुभव और विवेक से दुनिया को बेहतर समझते थे, उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
(ख) टोपी ने इफ़्फन की दादी से अपनी दादी बदलने की बात क्यों कही होगी? इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर:
(क) हरिहर काका अनपढ़ थे, परंतु उन्हें दुनिया के लोगों के व्यवहार की अच्छी समझ थी। वह अब विधुर हो चुके थे तथा उनके कोई संतान भी नहीं थी । उनके हिस्से में पंद्रह बीघे ज़मीन आई थी। उनके भाइयों की नज़र उनकी ज़मीन पर थी। ठाकुरबारी का महंत भी ठाकुर जी के नाम पर उनकी ज़मीन हथियाना चाहता था, परंतु हरिहर काका ने यह निश्चय किया हुआ था कि वे जीते-जी अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं करेंगे। वे जानते थे कि ज़मीन हाथ से निकलते ही परिवार का कोई भी सदस्य उनकी चिंता अथवा देखभाल नहीं करेगा।
(ख) टोपी ने इफ़्फ़न की दादी से अपनी दादी बदलने की बात इसलिए कही होगी क्योंकि टोपी शुक्ला की दादी का स्वभाव बहुत सख्त व अनुशासनप्रिय था। वह हमेशा उसे डाँटती, फटकारतीं रहती थीं। इसके विपरीत उसे इफ़्फ़न की दादी से अधिक आत्मीयता थी । इफ़्फ़न की दादी उसे प्यार से अपने पास बैठाकर बातें करती थी तथा उन दोनों की भाषा भी एक थी। इफ़्फ़न के घर में टोपी शुक्ला को अपने घर से अधिक प्रेम और विश्वास मिलता था। सहज और निस्वार्थ प्रेम जीवन में सर्वाधिक महत्व रखता है। अतः टोपी दादी बदलना चाहता होगा। उपर्युक्त कथन से बाल मन की मनोवैज्ञानिक झलक स्पष्ट होती है। बच्चे सिर्फ प्यार और आत्मीयता के भूखे होते हैं। सामाजिक वैर, भाव, सांप्रदायिकता आदि से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं होता ।