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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2016 (Outside Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड-क ( अपठित बोध )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : [9]
महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है-आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक । मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक । अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज़्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज़्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से ज़ाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज़्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज़्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज़्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें। अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूज़वेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और उस दौरान उनकी बातें ज़्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी ।
(क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है? [2]
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों? [2]
(ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है? [1]
(घ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए – “हम सुनना चाहते ही नहीं । ” [2]
(ङ) अनुच्छेद का मूलभाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए। [2]
उत्तर:
(क) अधिक बोलने की आदत से अनसुना करने की कला विकसित होती है। अधिक बोलने वाला व्यक्ति दूसरों पर हावी होना चाहता है। वह दूसरों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं होता। इसी से अनसुना करने की कला का विकास होता है।
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम होता है क्योंकि अधिक बोलने से बातों में विरोधाभास हो जाता है तथा सुनने वाला शब्दजाल में उलझ कर रह जाता है।
(ग) अधिक बोलना इस तथ्य का सूचक है कि वक्ता श्रोता पर हावी होना चाहता है तथा वह अपने विषय में अधिक सोचता है। ऐसा व्यक्ति प्रायः अहंकार की भावना से ग्रस्त होता है।
(घ) इसमें सन्देह नहीं कि हम केवल बोलकर दूसरों पर अपनी धाक जमाना चाहते हैं। हम किसी की बात सुनना नहीं चाहते बल्कि स्वयं को अधिक बुद्धिमान मानते हुए दूसरों को अनसुना कर उन्हें महत्त्व नहीं देते। (ङ) प्रस्तुत अनुच्छेद में कहा गया है कि हम लोग दूसरों की बात अनसुनी करते हैं तथा अपनी बात कहते रहते हैं। अधिक बोलने वाला व्यक्ति अनजाने ही अपने शत्रुओं की संख्या बढ़ा लेता है तथा अपनी लोकप्रियता भी खो बैठता है। श्रेष्ठ व्यक्ति दूसरों को महत्त्व देते हुए उनकी बात भी ध्यान से सुनता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
नेहरू जी ने न केवल भारत, वरन् किन्हीं अर्थों में विश्व के कई राष्ट्रों को भी नेतरत्व प्रदान किया और युद्ध के भय से आतंकित विश्व को शांति का संदेश दिया। विश्व के बड़े से बड़े राष्ट्र उनके असाधारण व्यक्तित्व से प्रभावित थे। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से अनेक राष्ट्रों की यात्राएँ कीं। विदेशों में उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ । विश्व के राजनीतिक दलदल से जिस कौशल के साथ भारत को बचाया उसे देखकर उनकी गणना विश्व के महान् राजनीतिज्ञों में होने लगी। अनेक कमज़ोर राष्ट्रों के लिए वे मसीहा बन गए । विश्वशांति के गंभीर प्रयासों के कारण उन्हें शांतिदूत कहा जाने लगा। बांडुंग सम्मेलन में पंचशील के माध्यम से शांति और मानवता का जो आदर्श नेहरू जी ने प्रतिष्ठित किया वह आज भी विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है । समस्त विकासशील देशों के लिए वह संजीवनी शक्ति बन गया। भारत – सोवियत मैत्री जवाहरलाल जी की ही देन है जो भारत के नव-निर्माण और विश्वशांति की आधारशिला बनी। नेहरू जी के जीवनकाल में भारत को कश्मीर समस्या तथा चीनी आक्रमण के संकट झेलने पड़े, जिनका समाधान आज भी पूर्णतः नहीं हो पाया है। लोकतांत्रिक भारत में नेहरू जी के बाद अनेक सरकारें आईं और गईं, पर नेहरू जी द्वारा अपनाई गई विदेश नीति ही सामान्यतः हमारी मार्गदर्शक रही।
(क) नेहरू जी की गणना विश्व के महान् राजनीतिज्ञों में क्यों होने लगी? [1]
(ख) नेहरू जी को शांतिदूत क्यों कहा जाता था ? [1]
(ग) भारत – सोवियत मैत्री के संदर्भ में जवाहरलाल नेहरू जी की क्या भूमिका रही? [1]
(घ) नेहरू जी किस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाए? [1]
(ङ) नेहरू जी के द्वारा अपनाई गई कौन-सी नीति हमारी मार्गदर्शक रही? [1]
(च) नेहरू जी ने शांति का संदेश किसे दिया? [1]
उत्तर:
(क) नेहरू जी ने विश्व के राजनीतिक दलदल से जिस कौशल के साथ भारत को बचाया, उसे देखकर उनकी गणना विश्व के महान् राजनीतिज्ञों में होने लगी ।
(ख) नेहरू जी को शांतिदूत इसलिए कहा जाता था क्योंकि उन्होंने विश्वशांति के लिए गंभीर प्रयास किए।
(ग) भारत – सोवियत मैत्री जवाहरलाल नेहरू जी के अथक प्रयासों का ही परिणाम है जो भारत के नवनिर्माण और विश्वशांति की आधारशिला बनी।
(घ) नेहरू जी कश्मीर की समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाए ।
(ङ) नेहरू जी के द्वारा अपनाई गई विदेश नीति हमारी मार्गदर्शक रही।
(च) नेहरू ने संपूर्ण विश्व को शांति का संदेश दिया।
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में रेखांकित पदबंधों के प्रकार बताइए । [1 × 4 = 4]
(i) वे इस मास के अंत तक गाँव से वापस आएँगे।
(ii) इस विद्यालय का सार्वधिक बुद्धिमान विद्यार्थी आज नहीं आया।
(iii) सूरज धीरे – धीरे डूबता जा रहा था।
(iv) उनकी आँखों में संकट और आतंक की छाप थी।
उत्तर:
(i) इस मास के अंत तक – क्रिया विशेषण पदबंध
(ii) विद्यालय का सार्वधिक बुद्धिमान विद्याथी-संज्ञा पदबंध
(iii) धीरे – धीरे डूबता – क्रिया विशेषण पदबंध
(iv) संकट और आतंक की छाप – संज्ञा पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : [1 × 3 = 3]
(i) वह पुस्तक लेने बाज़ार गया । ( मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए )
(ii) तुमने जो घड़ी खरीदी, वह अच्छी थी। ( सरल वाक्य में बदलिए)
(iii) वह वाचनालय जाकर समाचार पत्र पढ़ने लगा। ( संयुक्त वाक्य में बदलिए )
उत्तर:
(i) मिश्र वाक्य – वह बाज़ार गया क्योंकि उसे एक पुस्तक लेनी थी।
(ii) सरल वाक्य – तुमने अच्छी घड़ी खरीदी।
(iii) संयुक्त वाक्य – वह वाचनालय गया और समाचार पत्र पढ़ने लगा ।
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित का विग्रह करके समास का नाम लिखिए : [1+ 1 = 2]
दहेज-प्रथा, महात्मा
(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
नया जो युवक, ध्यान में मग्न
उत्तर:
(क) दहेज प्रथा – दहेज की प्रथा – तत्पुरुष समास ।
महात्मा – महान है जिसकी आत्मा – कर्मधारय समास ।
(ख) नया जो युवक – नवयुवक – कर्मधारय समास ।
ध्यान में मग्न- ध्यानमग्न – तत्पुरुष समास ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) मैं तुम्हारी हर चाल समझता हूँ। मुझे ऐरा गैरा नत्थू खैरा न समझना ।
(ख) मैं सुबह से तुम्हारी बाट जोह रहा हूँ ।
उत्तर:
(क ) ऐरा – गैरा नत्थू खैरा (बुद्ध / बेवकूफ)
(ख) बाट जोहना ( प्रतीक्षा करना)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए : [1+ 1 = 2]
नाकों चने चबाना, बाल-बाल बचना।
उत्तर:
(i) मणिपुर में उपद्रवियों का सामना करते हुए पुलिस कर्मचारियों को नाकों चने चबाने पड़े।
(ii) आतंकवादियों से मुठभेड़ होने पर पुलिस अधिकारी बाल-बाल बच गया ।
खण्ड – ग ( पाठ्यपुस्तक )
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए । [5]
” हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं। … अमेरिका से हम प्रतिस्पर्धा करने लगे। एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में ही पूरा करने की कोशिश करने लगे। वैसे भी दिमाग की रफ़्तार हमेशा तेज़ ही रहती है। उसे ‘स्पीड’ का इंजन लगाने पर वह हज़ार गुना अधिक रफ़्तार से दौड़ने लगता है । फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है । … यही कारण है जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए हैं।… ”
(क) “यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है।” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए । [2]
(ख) जापानी लोगों को अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने का क्या दुष्परिणाम झेलना पड़ता है? [1]
(ग) जापान में मानसिक रोगों में वृद्धि क्यों हो गई है? [2]
उत्तर:
(क) जापान में लोग प्रत्येक कार्य जल्दी से जल्दी करने का प्रयास करते हैं। उनका जीवन यन्त्रचालित हो गया है। वे गति को सर्वाधिक महत्त्व देते हैं।
(ख) जापानी लोग अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने के कारण तनावग्रस्त रहते हैं। उन्हें अनेक मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है।
(ग) जापानी लोगों में मानवीय संवेदना का अभाव है। वे केवल तीव्र गति से कार्य करने को महत्त्व देते हैं। वे जीवन को सहज ढंग से व्यतीत नहीं करते। मानसिक तनाव बढ़ने के कारण उन लोगों में मानसिक रोगों की वृद्धि हो गई है।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है? [1]
(ख) निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे? [2]
(ग) बंगाल के नाम पर क्या कलंक था और वह कैसे धुला ? ‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ के आधार पर लिखिए। [2]
उत्तर:
(क) जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वह स्थान पर्णकटी जैसा सुसज्जित होता है। इस स्थान में एक समय में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं।
(ख) निकोबार के लोग तताँरा को बहुत पसन्द करते थे। वह एक सुन्दर और शक्तिशाली नवयुवक था। वह एक नेक और परोपकारी व्यक्ति था । वह सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता था । त्याग और आत्मीयता के गुणों के कारण लोग उसे बहुत पसन्द करते थे।
(ग) ‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ के अनुसार बंगाल के लोग स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले रहे थे, यह बात बंगाल के नाम पर कलंक थी। 26 जनवरी, 1931 को अत्यंत उत्साहपूर्वक स्वतंत्रता दिवस मनाकर और पुलिस के अत्याचारों को झेलकर बंगालवासियों ने इस कलंक को धो डाला।
प्रश्न 9.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी ? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला ? [5]
उत्तर:
समुद्र के गुस्से का कारण यह था कि उसकी सहनशक्ति को ललकारा गया था। कई सालों से बड़े – बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी ज़मीन हथिया रहे थे। बेचारा समुद्र लगातार सिमटता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी फैली हुई टाँगों को समेटा, फिर उकहुँ बैठा, फिर खड़ा हो गया। परन्तु जब जगह कम पड़ी तो समुद्र को गुस्सा आ गया और उसे रोकना कठिन हो गया। इसी गुस्से में उसने अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाज़ों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक वर्ली के समुद्र के किनारे जा गिरा, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने औंधे मुँह गिरा तथा तीसरा गेट-वे-ऑफ इण्डिया पर टूट-फूट कर सैलानियों का नज़ारा बना ।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर लिखिए:
हरि आप हरो जन री भीर ।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर ।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर ।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर ।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर ।
(i) उपरोक्त पद में मीरा भगवान से क्या प्रार्थना करती है? [2]
(ii) मीरा ने किन भक्तों के उद्धार का उदाहरण दिया है? [2]
(iii) कौन से भक्त की रक्षा के लिए भगवान ने ‘नरहरि’ का शरीर धारण किया? [1]
उत्तर:
(i) उपरोक्त पद में मीरा भगवान से प्रार्थना करती है कि वे अपनी शरणागत सेविका के कष्ट दूर करें।
(ii) मीरा ने द्रोपदी, प्रहलाद तथा गजराज के उदाहरण द्वारा भगवान की भक्त-वत्सलता को प्रकट किया है।
(iii) भगवान ने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह ( नरहरि ) का रूप धारण किया।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है? [1]
(ख) ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है? [2]
(ग) पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था ? [2]
उत्तर:
(क) इस पंक्ति में हिमालय भारत के गौरव का प्रतीक है। कवि कहता है कि भारतीय सैनिकों ने कभी भी
भारत के गौरव को खंडित नहीं होने दिया ।
(ख) ‘कर चले हम फिदा’ गीत 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया। उस युद्ध में भारतीय वीरों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में आक्रमण का मुकाबला किया तथा सैकड़ों शूरवीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया ।
(ग) पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाले गए नोटिस में लिखा था कि अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती । सभी कार्यकर्ताओं को इंस्पेक्टरों द्वारा नोटिस और सूचना दी गई थी कि यदि वे सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। दूसरी तरफ कौंसिल की ओर से नोटिस निकाला गया कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए।
प्रश्न 11.
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ कविता के माध्यम से कवि ने स्पष्ट किया है कि प्रभु से विपत्ति के समय रक्षा करने की प्रार्थना नहीं करनी चाहिए बल्कि उससे दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करनी चाहिए। कवि कहता है कि प्रभु उसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी संघर्ष करने की क्षमता प्रदान करें।
प्रश्न 12.
घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए | [5]
उत्तर:
घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से था क्योंकि इफ़्फ़न की बूढ़ी दादी आठ वर्षीय टोपी शुक्ला के प्रति आत्मीयता की भावना रखती थी। उसके घर में टोपी शुक्ला को अपने घर से अधिक प्रेम और विश्वास मिलता था। टोपी शुक्ला के मन में इफ़्फ़न की दादी के प्रति सम्मान और सहज अनुराग था। दोनों की बोली भी एक थी । वस्तुतः दोनों ही अपने घर से उपेक्षित थे तथा परस्पर सद्भावना और आत्मीयता से युक्त थे। सहज और निस्वार्थ प्रेम जीवन में सर्वाधिक महत्त्व रखता है। यह जीवन मूल्य सबसे महत्त्वपूर्ण है। मानवीय मूल्यों की दृष्टि में दोनों का सम्बन्ध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है।
खण्ड – घ (लेखन)
प्रश्न 13.
दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए : [5]
(क) मित्रता
• मित्रता का महत्त्व
• अच्छे मित्र के लक्षण
• लाभ-हानि
(ख) दहेज प्रथा – एक अभिशाप
• सामाजिक समस्या
• रोकथाम के उपाय
• युवकों का कर्त्तव्य
(ग) कम्प्यूटर
• उपयोगी वैज्ञानिक आविष्कार
• विविध क्षेत्रों में कम्प्यूटर
• लाभ-हानि
उत्तर:
(क) मित्रता
मित्रता एक अद्भुत वरदान है। सच्ची मित्रता जीवन को एक नयी दिशा प्रदान करती है। सच्चा मित्र अपने मित्र को विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करने में सहयोग देता है। डॉ० रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं- ” मित्रता बड़ा अनमोल रतन, कब इसे तोल सकता है धन। ” सच्चा मित्र अपने मित्र के दुख में दुख अनुभव करता है तथा मित्र को दुख से मुक्त करने के लिए भरसक प्रयास करता है। वह प्रत्येक स्थिति में उसका साथ देता है तथा उसका सच्चा हितैषी होता है। वह स्वार्थहीन होता है तथा अपने मित्र को जीवन के शाश्वत् मूल्यों को प्राप्त करने में सहयोग देता है। सच्ची मित्रता से व्यक्ति को कभी हानि नहीं पहुँचती । मित्रता करते समय अत्यन्त सजग और सावधान रहना चाहिए। नीच व्यक्ति से मित्रता करना तो अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। स्वार्थी तथा नीच मित्र शत्रु की अपेक्षा अधिक घातक होता है।
(ख) दहेज प्रथा – एक अभिशाप
हमारे देश में अनेक सामाजिक कुप्रथाएँ प्रचलित हैं। बाल-विवाह, अस्पृश्यता, देवदासी प्रथा, दहेज प्रथा आदि कुप्रथाओं से हमारा समाज रुग्ण हो रहा है। इन सब कुप्रथाओं में दहेज प्रथा सबसे बड़ा अभिशाप है । दहेज प्रथा के अनेक दुष्परिणाम लक्षित होते हैं। दहेज कम लाने पर या न लाने पर वधू को ससुराल वाले बात-बात पर ताने देते हैं। कभी उस पर काम का अधिक बोझ लाद देते हैं तो कभी उसे कुलक्षणी और दुश्चरित्रा बताने लगते हैं तथा कभी-कभी तो उसे भूखा-प्यासा भी रखा जाता है। तब वह मानसिक वेदना से व्यथित हो पितृ-गृह जाने को विवश हो जाती है। कानूनी तौर पर दहेज लेना और देना, दोनों अपराध हैं तथा सामाजिक कुप्रथा भी है। हालांकि कानून को बनाने तथा कानून का पालन करवाने वाले स्वयं भी दहेज लेते और देते हैं, ऐसी स्थिति में दहेज लेना दण्डनीय अपराध कैसे कहा जा सकता है। इस दुष्प्रथा को दूर करने के लिए पर्याप्त वातावरण बनाना पड़ेगा। समाज में नवीन चेतना का विकास करना होगा। वास्तव में यदि दहेज लेने और देने वालों को कानूनी रूप से कठोर दण्ड दिया जाए तो इस कुप्रथा को कम किया जा सकता है। (ग)
(ग) कम्प्यूटर
आज का युग विज्ञान का युग कहा जा सकता है। विज्ञान ने मनुष्य को अनेक अद्भुत उपकरण दिए हैं जिनसे काल और स्थान की दूरियाँ मिट गई हैं। कम्प्यूटर एक प्रकार का मानव मस्तिष्क है जो कठिन गणनाएँ, गुणा-भाग, जोड़ना-घटाना आदि पलक झपकते ही करने में समर्थ है। भारत ने कम्प्यूटर संबंधित सेवाओं में संसार में अग्रणी स्थान ले लिया है। पश्चिमी देशों को कम्प्यूटरीकृत सेवाएँ उपलब्ध करवाने में भारत के कम्प्यूटर इंजीनियरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बैंकों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों तथा इंजीनियरों-संसार की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। कम्प्यूटर द्वारा इंटरनेट सुविधाएँ उपलब्ध होने से कुछ ही क्षणों में विश्व की कोई भी सूचना या समाचार उपलब्ध हो जाता है । अनेक विषयों की पढ़ाई कम्प्यूटर के माध्यम से हो रही है। पुस्तकों की छपाई में कम्प्यूटर ने क्रान्ति-सी ला दी है। यदि कम्प्यूटर को अलादीन का चिराग कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
प्रश्न 14.
बस में यात्रा करते हुए आपका एक बैग छूट गया था, जिसमें जरूरी कागज़ और रुपए थे। उसे बस कंडक्टर ने आपको लौटा दिया। उसकी प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में
अध्यक्ष
परिवहन निगम
नई दिल्ली
दिनांक – 12 अक्टूबर, 2016
महोदय,
मैं कल दोपहर को दिल्ली परिवहन निगम की 863 नम्बर बस में यात्रा कर रहा था। असावधानीवश मेरा बैग बस में ही छूट गया। बैग में कुछ आवश्यक कागजात और नगद पाँच हज़ार रुपए थे। मेरा आधार कार्ड भी बैग में ही था। परंतु उसी दिन शाम के समय उक्त बस के कंडक्टर ने स्वयं मेरे घर आकर बैग लौटा दिया। मैं इस पत्र द्वारा आपको उस कंडक्टर के ईमानदार कृत्य से अवगत करवाना चाहता हूँ तथा साथ ही उस कडक्टर को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
निवेदक
अशोक चावला
8B, राजपुर रोड, दिल्ली
अथवा
प्रधानाचार्य को एक चरित्र प्रमाणपत्र देने का अनुरोध करते हुए आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर:
चरित्र प्रमाणपत्र के लिए प्रधानाचार्य को पत्र :
प्रधानाचार्य महोदय
गुरुनानक पब्लिक स्कूल
दिल्ली
विषय – चरित्र प्रमाणपत्र पाने हेतु पत्र ।
महोदय,
निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा दसवीं ‘बी’ की छात्रा हूँ। मैंने कई प्रतियोगिताएँ जीतकर अपने विद्यालय का नाम रोशन किया है। दसवीं के परिणाम के बाद ग्याहरवीं कक्षा में प्रवेश पाने के लिए अनेक विद्यालयों में आवेदन पत्र देने हैं। इसके लिए मुझे चरित्र प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। कृपया मुझे चरित्र प्रमाणपत्र देने की कृपा करें।
धन्यवाद
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
क० ख०ग०
दसवीं ‘बी’ अनुक्रमांक – 12
दिनांक :
प्रश्न 15.
विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभग 20-30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए। [5]
उत्तर:
वाद-विवाद प्रतियोगिता हमारे विद्यालय में 25 सितम्बर को प्रातः 11 बजे वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन होगा। इस प्रतियोगिता का विषय है- ‘क्या भारत की उन्नति के लिए जातिवाद की समाप्ति आवश्यक है’। इस प्रतियोगिता में दसवीं तथा ग्यारहवीं कक्षा के छात्र भाग ले सकते हैं। भाग लेने के इच्छुक छात्र शीघ्र ही सम्पर्क करें। सचिव साहित्यिक क्लब |
प्रश्न 16.
‘परिश्रम / कर्म का महत्व’ विषय पर एक लघुकथा लिखिए । [5]
उत्तर:
परिश्रम / कर्म का महत्व
किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह अत्यंत परिश्रम करता था फिर भी अभावों से घिरा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काटकर लाता था। उसके दैनिक कर्म और परिश्रम को एक महात्मा नित्य देखते थे। एक दिन महात्मा ने उसे जंगल से भी आगे जाने को कहा। वह आगे गया तो उसे चंदन का वन मिला। वह चंदन की लकड़ियाँ काटकर लाया और उन्हें बाज़ार में बेच दिया, उसे अच्छा धन मिला। परंतु अगले दिन महात्मा ने उसे और आगे जाने को कहा । वह आगे गया तो उसे तांबे की खान मिली। उसने उससे बहुत धन कमाया। वह अत्यंत प्रसन्न था परंतु महात्मा ने उसे फिर से आगे बढ़ने को कहा। वह और आगे बढ़ता गया। आगे उसे चांदी की खान मिली। उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा । वह अब काफी धनवान हो चुका था। परंतु महात्मा ने उसे कहा कि एक स्थान पर मत रुको, परिश्रम करो और आगे बढ़ो। लकड़हारा और परिश्रम से आगे बढ़ता गया। अब उसे सोने की खान मिली। उसने उससे खूब धन कमाया। अब लकड़हारे को परिश्रम अथवा कर्म का महत्व समझ आ गया था ।
प्रश्न 17.
अपने पुराने मकान के बेचने संबंधी विज्ञापन का आलेख लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए। [5]
उत्तर:
स्वरूप नगर की गली नम्बर तीन में एक पुराना मकान बिकाऊ है। मकान तीन मंजिला है तथा इसका क्षेत्रफल 150 मीटर है। प्रत्येक तल में दो बैडरूम, एक किचन तथा एक ड्राईंग रूम हैं। मकान खरीदने के इच्छुक व्यक्ति शीघ्र सम्पर्क करें। अशोक अग्रवाल, मोबाइल : 98123 xxxxx. |