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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2015 (Outside Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड – क ( अपठित बोध )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [9]
ज़ाकिर साहब से मिलने के लिए समय प्राप्त करने में देर नहीं लगती थी। एक बार मेरी एक सहेली ऑस्ट्रेलिया से भारत की यात्रा करने आई। अपने देश में वे भारतीयों की शिक्षा के लिए धन एकत्र किया करती थीं। एक भारतीय बच्चे को उन्होंने गोद भी ले लिया था। ज़ाकिर साहब ने तुंरत उनसे मिलने के लिए समय दिया और देर तक बैठे उनसे उनके कार्य, उनकी भारत यात्रा के बारे में सुनते रहे। हिंदी सीखने के बारे में एक बार जब उनसे प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा, “मेरे परिवार के एक बच्चे ने जब गांधी जी से ऑटोग्राफ़ माँगा तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर उर्दू में किए, उसी दिन से मैंने अपने मन में निश्चय कर लिया कि हिन्दीभाषियों को अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही दिया करूँगा । ”
एक बार रामलीला में जनता ने उनसे रामचंद्र जी का तिलक करने के लिए कहा। ज़ाकिर साहब खुशी से आए और तिलक किया। इस पर कुछ उर्दू अखबारों ने एतराज किया। जाकिर साहब ने जवाब दिया, ” इन नादानों को मालूम नहीं है कि मैं भारत का राष्ट्रपति हूँ। किसी खास धर्म का नहीं। ” ज़ाकिर साहब राष्ट्रपति भवन में सादगी और विनम्रता के साथ कलाप्रियता को भी ले आए थे। उनकी आँखों में ब्रिटेन के अभिमान के अवशेष शीशे के टुकड़ों के समान खटके। उन्होंने मुगल उद्यान को न केवल सुरक्षित रक्षा दी अपितु अपने व्यक्तित्व के वैभव से उसकी सुंदरता में वृद्धि भी की। उनके समय में राष्ट्रपति भवन के बगीचों में 400 किस्म के नए गुलाब लगाए ।
(i) यह गद्यांश किसके बारे में है? वह भारत के किस महत्त्वपूर्ण पद पर थे ? [2]
(ii) ज़ाकिर साहब ने लेखिका की सहेली को मिलने का समय शीघ्र ही क्यों दे दिया? [2]
(iii) ज़ाकिर साहब को हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रेरणा क्यों मिली? [2]
(iv) उर्दू अखबारों ने रामलीला में जाकिर साहब के तिलक करने पर एतराज़ क्यों किया? उन्हें ज़ाकिर साहब ने क्या कहा ? [2]
(v) गद्यांश के आधार पर जाकिर साहब के स्वभाव की दो विशेषताएँ लिखिए । [1]
उत्तर:
(i) यह गद्यांश डॉ० ज़ाकिर हुसैन के बारे में है। वह स्वतंत्र भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे।
(ii) ज़ाकिर साहब ने लेखिका की सहेली को मिलने का समय शीघ्र ही इसलिए दे दिया क्योंकि वह आस्ट्रेलिया में रहकर भारतीयों की शिक्षा के लिए कार्यशील थी और ज़ाकिर साहब से मिलने के लिए समय प्राप्त करने में देर नहीं लगती थी । वे मिलनसार तथा मददगार व्यक्ति थे।
(iii) ज़ाकिर साहब के परिवार के एक बच्चे ने जब गांधी जी से ऑटोग्राफ माँगा तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर उर्दू में किए, उसी दिन से ज़ाकिर जी ने अपने मन में निश्चय कर लिया कि वह हिंदीभाषियों को अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही दिया करेंगे।
(iv) उर्दू अखबारों ने रामलीला में ज़ाकिर साहब के रामचंद्र जी को तिलक करने पर एतराज़ इसलिए किया क्योंकि वह एक मुसलमान थे और उन्होंने रामचंद्र जी का तिलक बहुत खुशी से किया जो उनके धर्म के खिलाफ़ था । ज़ाकिर साहब ने जवाब दिया “मैं भारत का राष्ट्रपति हूँ। किसी खास धर्म का नहीं। ”
(v) ज़ाकिर साहब के स्वभाव की दो विशेषताएँ-
1. ज़ाकिर साहब के सादगीप्रिय तथा विनम्र व्यक्ति थे।
2. वे मिलनसार, देशप्रेमी तथा धर्मनिरपेक्षता के समर्थक थे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : (1 × 6 = 6)
मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सिद्धि अपने अहं के सम्पूर्ण त्याग में है। जहाँ वह शुद्ध समर्पण के उदात्त भाव से प्रेरित होकर अपने ‘स्व’ का त्याग करने को प्रस्तुत होता है वहीं उसके व्यक्तित्व की महानता परिलक्षित होती है । साहित्यानुरागी जब उच्च साहित्य का रसास्वादन करते समय स्वयं की सत्ता को भुला कर पात्रों के मनोभावों के साथ एकत्व स्थापित कर लेता है तभी उसे साहित्यानन्द की दुर्लभ मुक्तामणि प्राप्त होती है। भक्त जब अपने आराध्य देव के चरणों में अपने ‘आप’ को अर्पित कर देता है और पूर्णतः प्रभु की इच्छा में अपनी इच्छा को लय कर देता है तभी उसे प्रभु भक्ति की अलभ्य पूँजी मिलती है। यह विचित्र विरोधाभास है कि कुछ और प्राप्त करने के लिए स्वयं को भूल जाना ही एकमात्र सरल और सुनिश्चित उपाय है। यह अत्यन्त सरल दिखने वाला उपाय अत्यन्त कठिन भी है। भौतिक जगत में अपनी क्षुद्रता को समझते हुए भी मानव हृदय अपने अस्तित्व के झूठे अहंकार में डूबा रहता है उसका त्याग कर पाना उसकी सबसे कठिन परीक्षा है। किन्तु यही उसके व्यक्तित्व की चरम उपलब्धि भी है। दूसरे का निःस्वार्थ प्रेम प्राप्त करने के लिए अपनी इच्छा-आकांक्षाओं और लाभ-हानि को भूल कर उसके प्रति सर्वस्व समर्पण ही एकमात्र माध्यम है। इस प्राप्ति का अनिवर्चनीय सुख वही चख सकता है जिसने स्वयं को देना – लुटाना जाना हो। इस सर्वस्व समर्पण से उपजी नैतिक और चारित्रिक दृढ़ता, अपूर्व समृद्धि और परमानन्द का सुख वह अनुरागी चित्त ही समझ सकता है जो-
‘ज्यों-ज्यों बूड़े श्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय’
(क) मनुष्य जीवन की महानता किसमें है ? लेखक ऐसा क्यों मानता है?
(ख) ‘साहित्यानुरागी’ से क्या तात्पर्य है? उसे आनंद किस प्रकार प्राप्त होता है?
(ग) प्रभु भक्ति की पूँजी कैसी बताई गई है और भक्त उसे कब प्राप्त कर सकता है?
(घ) मनुष्य के व्यक्तित्व की चरम उपलब्धि क्या है और क्यों?
(ङ) विचित्र विरोधाभस’ किसे माना गया है और क्यों?
(च) ‘सर्वस्व समर्पण’ का क्या तात्पर्य है और ऐसा करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
(क) मनुष्य जीवन की महानता ‘अहं’ के संपूर्ण त्याग में है। ‘स्व’ का त्याग करके ही मनुष्य के व्यक्तित्व की महानता परिलक्षित होती है।
(ख) ‘साहित्यानुरागी’ से तात्पर्य है – ” साहित्य के लिए अनुराग रखने वाला ” । जब साहित्यानुरागी उच्च साहित्य को पढ़कर स्वयं को भूलकर रचना के पात्रों से तादात्मय स्थापित कर लेता है तब उसे आनंद की प्राप्ति होती है।
(ग) प्रभु भक्ति की पूँजी ‘अलभ्य’ बताई गई है। जब भक्त अपने आराध्य देव के चरणों में स्वयं को अर्पित कर – प्रभु इच्छा में ही अपनी इच्छा को विलीन कर लेता है।
(घ) भौतिक जगत में अपनी क्षुद्रता को समझते हुए अपने अस्तित्व के झूठे अहंकार का त्याग करना मनुष्य के जीवन की चरम उपलब्धि है क्योंकि इससे हम दूसरे से निःस्वार्थ प्रेम प्राप्त कर सकते हैं।
(ङ) कुछ और प्राप्त करने के लिए स्वयं को भूल जाना विचित्र विरोधाभास है क्योंकि यह उपलब्धि के स्तर पर अनिवार्य है।
(च) अपनी इच्छा, आकांक्षाओं और लाभ-हानि को भूलना ही सर्वस्व समर्पण है। ऐसा करने से मनुष्य को चारित्रिक दृढ़ता, अपूर्व समृद्धि एवम् परमानंद का सुख प्राप्त होता है। इससे दूसरों का निस्वार्थ प्रेम प्राप्त होता है।
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [3]
(i) पिताजी की इच्छा के कारण मुझे छात्रावास में जाना पड़ा। (संयुक्त वाक्य में )
(ii) वह लड़का गाँव जाकर बीमार हो गया। ( मिश्र वाक्य में )
(iii) जैसे ही वह स्टेशन पहुँचा त्यों ही गाड़ी चल दी। ( सरल वाक्य में )
उत्तर:
(i) पिताजी की इच्छा थी इसलिए मुझे छात्रावास में जाना पड़ा।
(ii) जैसे ही वह लड़का गाँव गया, वैसे ही बीमार हो गया ।
(iii) उसके स्टेशन पहुँचते ही गाड़ी चल दी।
प्रश्न 4.
रेखांकित पदों का परिचय दीजिए । [1 × 4 = 4]
(i) मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी ।
(ii) आंदोलन कारी शहर मे प्रदर्शन कर रहे थे।
(iii) तुम दौड़कर जल्दी आ जाओं ।
(iv) सिपाही देश सेवा के लिए समर्पित हैं।
उत्तर:
(i) भीड – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रिलिंग, बहुवचन
(ii) कर रहे थे – क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, बहुवचन
(iii) दौड़कर – क्रिया विशेषण, रीतिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग,
(iv) सिपाही संज्ञा, जातिवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग
प्रश्न 5.
(i) समास विग्रह कर समास का नाम लिखिए। [2]
रेखाकिंत यथाविवेक
उत्तर:
रेखांकित – रेखा में अंकित – तत्पुरुष समास ।
यथाविवेक – विवेक के अनुसार – अव्ययीभाव समास ।
(ii) समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए। [2]
चंद्रमा की कला, नीला है जो नभ
उत्तर:
चंद्रमा की कला – चंद्रकला – कर्मधार्य समास ।
नीला है जो नभ – नीलनभ – कर्मधारय समास ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: (1 × 2 = 2)
(i) सुरेश दिन भर खेलता रहा, उसके पिताजी घर पर ही थे, शाम को जब वह घर पहुँचा तो उन्हें क्रोधित देखकर उसे लगा कि उसके सिर पर नंगी तलवार लटकी हुई है।
(ii) रमेश परीक्षा में नकल करके बिना पढ़े पास हो गया, ये तो अंधे के हाथ बटेर लगने वाली बात हुई ।
उत्तर:
(i) सिर पर नंगी तलवार लटकना ( सामने मौत दिखाई देना)
(ii) अंधे के हाथ बटेर लगना ( अयोग्य व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना )
प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों को वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए । [2]
(i) बाएँ हाथ का खेल होना ।
(ii) नमक मिर्च मिलाना।
उत्तर:
(i) चिंता मत करो, यह तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है।
(ii) नैन्सी की तो आदत है कि वह हर बात नमक मिर्च मिला कर कहती है।
खण्ड – ग ( पाठ्यपुस्तक )
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहते हैं। लाभ-हानि का हिसाब लगाकर ही कदम उठाते हैं। वे जीवन में सफल होते हैं, अन्यों से आगे भी जाते हैं पर क्या वे ऊपर चढ़ते हैं। खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें यही महत्त्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों-जैसा कुछ है तो यह आदर्शवादी लोगों को ही दिया हुआ है। व्यवहारवादी लोगों ने तो समाज को गिराया ही है।
(क) व्यवहारवादी लोगों के सजग रहने के क्या-क्या कारण हैं? [2]
(ख) आदर्शवादी लोगों की समाज को क्या-क्या देन है? [2]
(ग) समाज को पतन की ओर ले जाने वाले कौन लोग हैं? उनका मुख्य उद्देश्य क्या रहता है? [1]
उत्तर:
(क) व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहकर लाभ-हानि को देखकर अन्यों से आगे निकल जाते हैं। ये लोग अपने हानि-लाभ के आधार पर ही व्यवहार करना उचित समझते हैं। वे न कोई सिद्धांत मानते हैं और न ही कोई आदर्श। ऐसे लोग जैसे-तैसे उन्नति करने को ही महत्त्व देते हैं तथा जीवन में सफल होते हैं।
(ख) समाज को शाश्वत् मूल्य प्रदान करना आदर्शवादी लोगों की देन है। आदर्शवादी लोग सनातन जीवन-मूल्यों को, सत्य को, आदर्श को तथा श्रेष्ठता को अपने जीवन में अपनाते हैं, उसे सुरक्षित रखते हैं। वे समाज को ऊँचा उठाते हैं।
(ग) व्यवहारवादी लोग समाज को पतन की ओर ले जाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अपना भला करना होता है ।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लेखक की ‘डायरी का एक पृष्ठ’ भावी पीढ़ी को किस प्रकार प्रेरित करता है? [2]
(ख) युवती ने तताँरा को बेरुखी के साथ क्या जवाब दिया? उससे तताँरा को कैसा लगा? [2]
(ग) शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है? [1]
उत्तर:
(क) लेखक की ‘डायरी का एक पृष्ठ’ भावी पीढ़ी को देश की स्वतन्त्रता के लिए सर्वस्व बलिदान देने की प्रेरणा देता है। इस रचना में महान् नेता सुभाषचन्द्र बोस के विषय में भी बताया गया है कि वे पुलिस की लाठियों की चिन्ता न करते हुए ‘वन्दे मातरम् !’ बोलते रहे तथा अंग्रेज़ी शासन का विरोध करते रहे। इससे भावी पीढ़ी को यह प्रेरणा मिलती है कि अत्याचारी शासकों का विरोध करने से हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए ।
(ख) तताँरा ने युवती (वामीरो) से पूछा था कि उसने गीत गाना बंद क्यों कर दिया? इस पर युवती ने बेरुखी के साथ उसे उत्तर दिया कि वह अपने गाँव के युवकों के अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है। युवती के इस जवाब को सुनकर तताँरा को बहुत विस्मय हुआ ।
(ग) शुद्ध सोना बिल्कुल शुद्ध होता है, इसमें मिलावट नहीं होती। जबकि गिन्नी के सोने में ताँबे की मिलावट होती है। गिन्नी का सोना शुद्ध सोने से अधिक मज़बूत और चमकदार होता है।
प्रश्न 9.
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में छोटा भाई पढ़ाई में कम और खेल में अधिक समय देकर भी कक्षा में प्रथम आता रहा। क्या विद्यार्थियों को ऐसा ही करना चाहिए? अपने विचार समझाकर लिखिए। [5]
उत्तर:
छोटे भाई का मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लगता था। उसके लिए एक घंटे भी किताब लेकर बैठना कठिन था ।वह मौका पाकर हॉस्टल से बाहर निकलकर मैदान की ओर भाग जाता। उसकी रुचि पढ़ाई से अधिक खेलने-कूदने में थी । उसे साथियों के साथ घूमने-फिरने में आनंद आता था। परंतु बड़े भाईसाहब उसे हमेशा अधिक खेलने पर डाँटते थे और पढ़ाई पर अधिक ध्यान देने पर बल देते थे। छोटा भाई पढ़ाई में कम और खेल में अधिक समय देकर भी कक्षा में प्रथम आता रहा । यह बहुत अच्छी बात है कि छोटे भाई ने थोड़ा समय पढ़ाई करके भी बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए और प्रथम आया ।
मेरे विचार से विद्यार्थियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें खेलकूद और पढ़ाई में समन्वय स्थापित करना चाहिए। उन्हें पढ़ाई की ओर अपनी ज़िम्मेदारी को समझना चाहिए। समय पर अपनी पढ़ाई करके ही खेलना चाहिए। यदि बड़े भाईसाहब छोटे भाई को समय-समय पर डाँट फटकार लगाकर पढ़ाई करने के लिए बाध्य नहीं करते तो छोटा भाई कभी भी अपने मन से पढ़ाई करने नहीं बैठता। उनके डर से वह न चाहकर भी पढ़ाई करता था। वह कुशाग्र था इसलिए थोड़ा पढ़ने पर भी कक्षा में अव्वल आ जाता था। परंतु विद्यार्थियों को ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि जब उन्हें कोई डाँटे या बार-बार पढ़ने के लिए कहे तभी उन्हें पढ़ाई करनी है। इतना ही नहीं उन्हें किसी को भी बार-बार डाँटने का मौका नहीं देना चाहिए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर लिखिए: [5]
अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े, समक्ष की ‘स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े ।
परस्परावलम्ब से उठो तथा बढ़ो सभी, अभी अमर्त्य -अंक में अपंक हो चढ़ो सभी ।
रहो न यों कि एक से न काम और का सरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ||
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए। [2]
(ख) ‘अभी अमर्त्य अंक में अपंक हो चढ़ो सभी पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें। [1]
(ग) पद्यांश में कवि ने क्या आह्वान किया है? [2]
उत्तर:
(क) कवि- मैथिलीशरण गुप्त;
कविता – मनुष्यता
(ख) कवि कहता है कि सभी मनुष्य अच्छे कर्म करें, जिससे वे कलंक रहित होकर देवताओं की शरण प्राप्त कर सकें ।
(ग) कवि एक-दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। वह दुर्गुणों को त्याग कर मनुष्यता का आह्वान
करता है।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों और बीच-बीच में खिड़कियों की कल्पना क्यों करती हैं? [2]
(ख) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता की भाषा की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
(ग) कंपनी बाग में तोप क्यों रखी गयी है? [1]
उत्तर:
(क) मीरा ऊँचे-ऊँचे महल बनाकर उसमें श्रीकृष्ण को रखना चाहती हैं और उन महलों की खिड़कियों से वह अपने साँवरिया कृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं।
(ख) कविता की भाषा की दो विशेषताएँ-
1. कवि ने इस कविता में ‘चित्रात्मक शैली’ का सुंदर प्रयोग किया है।
2. इस कविता में प्रकृति में चेतन भावों का आरोप कर ‘मानवीकरण अलंकार’ का प्रयोग अद्भुत है।
(ग) कंपनी बाग में रखी गयी तोप 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रयोग की गई थी। जब यह तोप ‘कंपनी बाग’ में
प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गई है।
प्रश्न 11.
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। कविता में किए गए मानवीकरण अलंकार के प्रयोग को सोदाहरण समझाइए | [5]
उत्तर:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने प्रकृति का मानवीकरण किया है। इस कविता में प्रकृति में चेतन भावों का आरोप कर मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है। कविता में ‘मानवीकरण अलंकार’ के सुंदर प्रयोग से कविता सजीव हो उठी है।
मानवीकरण अलंकार के उदाहरण-
1. उड़ गया, अचानक लो भूधर
2. मेखलाकार पर्वत अपार
अपने दृग- सुमन फाड़
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार |
3. गिरिवर के उर से उठ उठकर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर।
4. धँस गए धरा में सभय शाल
उठ रहा धुआँ, जल गया ताल ।
प्रश्न 12.
हरिहर काका ने ठाकुरबारी जैसी संस्था में ही रहना प्रारंभ कर दिया था जबकि उनका प्रिय स्थान तो उनका अपना घर था, तो क्यों? उनके परिवार के लोगों के व्यवहार के प्रति अपने विचार व्यक्त करके बताइए कि आप उनमें से एक होते तो क्या करते? [5]
उत्तर:
हरिहर काका का प्रिय स्थान उनका अपना घर था। वे अपने परिवार से अत्यंत प्रेम करते थे। उन्हें अपने घर में रहना अच्छा लगता था । परंतु उनके भाइयों का उनके प्रति जो प्रेमभाव था, वह दिखावा मात्र था। उनके भाई स्वार्थी थे, सबका ध्यान उनकी ज़मीन पर ही केंद्रित था। हरिहर काका के भाईयों की पत्नियाँ भी उनके साथ दुर्व्यवहार करती थीं, वे उन्हें बासी खाना देती थीं और खरी-खोटी सुनाती रहती थीं। परिवार द्वारा अपने साथ किए गए बुरे व्यवहार के कारण ही हरिहर काका ने महंत की बात मान ली तथा घर छोड़कर ठाकुरबारी जैसी संस्था में रहने चले गए। यदि हरिहर काका के परिवार के सदस्यों का व्यवहार उनके प्रति अच्छा होता तो वे कभी भी घर छोड़कर ठाकुरबारी में रहने का निर्णय नहीं लेते।
हरिहर काका के परिवार के लोगों का व्यवहार उनके प्रति बिल्कुल अनुचित था । हरिहर काका अपने भाईयों से बहुत प्रेम करते थे और बदले में उनसे भी प्रेमपूर्वक व्यवहार की अपेक्षा करते थे। परंतु उनके परिवार के लोगों को तो केवल उनकी ज़मीन का लालच था।
यदि मैं हरिहर काका के परिवार के लोगों में से एक होता तो मैं हरिहर काका का बहुत सम्मान करता, उनसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करता, उन्हें अपने परिवार का सदस्य समझता और उनकी खुशी का पूरा ध्यान रखता जिससे वह कभी भी घर छोड़कर जाने का विचार भी अपने मन में नहीं लाते ।
खण्ड – घ (लेखन)
प्रश्न 13.
दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए:
(क) हमारा देश
• भौगोलिक विस्तार
• समाज और संस्कृति
• आज का बदलता रूप
(ख) श्रम का महत्त्व
• श्रम और मानव जीवन
• लाभ
• सुझाव
(ग) भारत की बढ़ती जनसंख्या
• देश की प्रगति और जनसंख्या
• हानियाँ
• सुझाव
उत्तर:
(क) हमारा देश
संसार के अन्य देशों की अपेक्षा भारतवर्ष की पावन धरती का सौन्दर्य अद्भुत है। हिमालय भारत के माथे का दिव्य मुकुट है तथा हिंद महासागर भारत माता के चरणों को स्पर्श कर धन्य होता है। भारत को तीन ओर से समुद्र ने घेर रखा है। यहाँ के पर्वत और उनसे निकलने वाले झरने तथा नदियाँ भारत की शोभा को और अधिक बढ़ा देते हैं। भारत की धरती कहीं पर्वत है, तो कहीं मरु, कहीं मैदान है, तो कहीं पठार । यहाँ के उपजाऊ खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाती हैं। यहाँ के समुद्रों की छटा देखते ही बनती है। कश्मीर तो हमारे देश का स्वर्ग है। भारत की सभ्यता और संस्कृति संपूर्ण विश्व में अद्वितीय है। हमारा देश भारत प्राचीनकाल से ही ज्ञान-विज्ञान और शिल्प के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। हमारी संस्कृति में सत्य, अहिंसा, परोपकार, उच्च विचार, करुणा एवं दया के भावों को अपनाया गया है। भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। विश्व में अनेक सभ्यताएँ रसातल में लुप्त हो गईं परन्तु हमारी सभ्यता एवं संस्कृति आज भी विश्व के समक्ष गौरव से सिर ऊँचा किए हुए है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता विविधता में एकता है । परंतु फिर भी हमारी नीति सदैव से ही अहिंसा की रही है। भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है।
भारत में विभिन्न प्रांतों के लोगों के अपने-अपने रीति-रिवाज़ हैं। विभिन्न प्रांतों एवं धर्मों के लोग विभिन्न पर्व मनाते हैं। इस विभिन्नता में भी विशिष्ट एकता के दर्शन होते हैं। हमारा राष्ट्र पिछले कुछ वर्षों से तीव्र गति से विकास कर रहा है। अब विश्व में हमारी प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। भारत स्वावलंबन की दिशा की ओर अग्रसर है। यह भरपूर आर्थिक विकास कर रहा है तथा विश्व में अग्रणी देशों में अपना स्थान बनाने का भरसक प्रयास कर रहा है।
(ख) श्रम का महत्त्व
श्रम का मानव – जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। श्रम व्यक्ति को उन्नति की ओर ले जाता है। श्रम के आधार पर ही मनुष्य ने जीवन में इतना विकास किया है। आदिकाल से आधुनिक काल की सारी उपलब्धियाँ परिश्रम से ही संभव हो पाई हैं।श्रम करके ही हम जीवन की इच्छा-आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकते हैं। श्रम संसार में सफलता दिलाने का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन हैं। यह संसार एक कर्मक्षेत्र है। यहाँ कर्म करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। हमें अपने कामों में तभी सफलता मिल सकती है, जब हम निरंतर श्रम करें। मनुष्य द्वारा घर बनाना, फसलें उगाना, बड़े-बड़े बाँध बनाना, पुलों का निर्माण, तकनीकी विकास, बिजली की आपूर्ति करना, नए से नए घरेलू उपकरण आदि सभी श्रम से ही संभव हो पाया है। शरीर के साथ-साथ बौद्धिक श्रम भी पूर्ण सहयोगी होता है। श्रम से जीवन को गति मिलती है। हर आयु वर्ग के लोगों को जीवन में श्रम करना ही पड़ता है। परिश्रमी व्यक्ति कभी किसी कार्य हेतु किसी का मुँह नहीं ताकता । वह अपने हाथों पर भरोसा रखता है और कभी भी हार से विचलित नहीं होता। एक बार यदि वह लक्ष्य प्राप्त न भी कर पाए तो फिर से प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। अतः मनुष्य को परिश्रम कर अपनी योजनाओं को राह देनी चाहिए। उसे आत्मविश्वास से लक्ष्य साधकर श्रम करके आगे बढ़ना चाहिए तो सफलता भी बढ़कर उसके कदम चूमेगी ।
(ग) भारत की बढ़ती जनसंख्या
किसी भी देश की जनसंख्या यदि उस देश के संसाधनों की तुलना में अधिक हो जाती है तो वह देश पर अनचाहा बोझ बन जाती है। जनसंख्या वृद्धि की समस्या से अनेक समस्याओं का उदय होना स्वाभाविक ही है। जब जनसंख्या निरंतर बढ़ती चली जाती है तो जीवन की प्राथमिक आवश्यकताएँ – भोजन, वस्त्र और मकान भी पूरे नहीं पड़ते । जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में कृषि हेतु खेत नहीं बढ़ते । खेती में कितनी उपज बढ़ाई जाए कि देश का पेट भर सके, इसका अनुमान लगाना भी कठिन हो जाता है और यदि खाद्यान्न की कमी होती है तो विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ता है। इससे देश का पैसा दूसरे देशों में जाता है और अपने देश का खजाना खाली होता रहता है। वस्त्र, मकान, बच्चों के लिए शिक्षा हेतु स्कूल, कॉलेज, मनोरंजन एवं खेल सुविधाएँ प्रदान करने की समस्या पूरे देश को चिंतित कर देती है।
अतः देश की बढ़ती जनसंख्या बहुत बड़ी समस्या बन जाती है। इसे नियंत्रण में रखना ही नागरिकों और राष्ट्र के लिए हितकर है। जहाँ तक प्राकृतिक संसाधनों की बात है, उनकी अपनी एक सीमा है। ये संसाधन एकाएक उतनी मात्रा में नहीं बढ़ाए जा सकते जितनी द्रुत गति से जनसंख्या बढ़ रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में पर्याप्त संसाधन भी कम पड़ जाते हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि कानूनों को और कड़ा बनाया जाए तथा उनमें किसी भी दशा में छूट न दी जाए। यदि आर्थिक दंड या टैक्स का विधान हो तो उचित होगा। शिक्षा द्वारा जनता में जागरुकता लाई जानी चाहिए। व्यक्ति, समाज तथा सरकार के सामूहिक प्रयास से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
प्रश्न 14.
विश्व पुस्तक मेले में ‘गांधी दर्शन’ से संबंधित स्टाल में गांधी – साहित्य के प्रचार के लिए कुछ युवक-युवतियों की आवश्यकता है। आप अपनी योग्यताओं और रुचियों का विवरण देते हुए ‘गांधी- स्मृति’ संस्था के अध्यक्ष को आवेदन पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में
अध्यक्ष जी
गांधी स्मृति संस्था, दिल्ली
दिनांक
विषय : विश्व पुस्तक मेले में गांधी साहित्य के प्रचार हेतु आवेदन पत्र |
महोदय
मुझे अपने मित्र से ज्ञात हुआ कि विश्व पुस्तक मेले में ‘गांधी दर्शन’ से संबंधित स्टाल में गांधी – साहित्य के प्रचार हेतु कुछ युवक-युवतियों की आवश्यकता है। मैं स्वयं को इस कार्य के लिए प्रस्तुत करता हूँ क्योंकि मुझे प्रचार-प्रसार में अत्यधिक रुचि है। मेरी व्यक्तित्व योग्यताओं से संबंधित विवरण निम्नलिखित है:
नाम : राजेश कुमार
पिता का नाम : श्री अमित कुमार
जन्मतिथि : 10 मार्च, 1983
पता : मकान नं० 659/3, गली नं० 5, करोल बाग, नई दिल्ली-110005
शैक्षिक योग्यताएँ : सैकेंडरी -1998, सी०बी०एस०ई० (दिल्ली) – 62% अंक
सीनियर सैकेंडरी – 2000, सी०बी०एस०ई० (दिल्ली) – 65% अंक
बी० ए० – 2003, दिल्ली विश्वविद्यालय – 58% अंक
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे इस कार्य को करने का अवसर प्रदान किया गया तो मैं पूरी लगन और ईमानदारी से काम करूँगा ।
सधन्यवाद !
भवदीय
राजेश कुमार
संलग्न – शैक्षिक योग्यताओं की प्रमाणित प्रतिलिपियाँ ।
अथवा
विद्यालय की विज्ञान – प्रयोगशाला को अत्याधुनिक बनाने की आवश्यकता समझाते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
उत्तर:
विज्ञान – प्रयोगशाला को अत्याधुनिक बनाने की आवश्यकता पर प्रधानाचार्य को पत्र :
प्रधानाचार्य जी
डी०ए०वी० पब्लिक स्कूल
गुड़गाँव
विषय – विज्ञान प्रयोगशाला को अत्याधुनिक बनाने हेतु पत्र ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि विद्यालय के बहुत से विद्यार्थी प्रयोगशाला में विज्ञान के प्रयोग करते हैं । किन्तु कभी-कभी उन्हें नए पाठ्यक्रम के अनुसार कई रसायन व यंत्र नहीं मिल पाते हैं। उचित सामग्री के अभाव व प्रयोगशाला के अत्याधुनिक न होने के कारण प्रयोग करने में उन्हें परेशानी होती है। अतः आपसे अनुरोध है कि विद्यालय की विज्ञान प्रयोगशाला को आधुनिक बनाने के लिए अनुमति दें, जिससे प्रतिभाशाली छात्र अपनी प्रतिभा को और विकसित कर सकें।
धन्यवाद सहित ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क० ख०ग०
दसवीं अ
दिनांक : ………….
प्रश्न 15.
आपके विद्यालय में एक सप्ताह के लिए ‘नेत्र चिकित्सा शिविर लगाया जा रहा है, जिसमें निःशुल्क नेत्र- परीक्षण किया जाएगा। स्थानीय जनता की सूचना के लिए 20-30 शब्दों में एक सूचना – पत्रक लिखिए। [5]
उत्तर:
दिल्ली पब्लिक स्कूल
करोल बाग, नई दिल्ली
दिनांक ………
सूचना आप सभी को यह सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में 7 जून, 20 से 14 जून, 20xx तक ‘नेत्र – चिकित्सा शिविर’ लगाया जा रहा है। इस शिविर में निःशुल्क नेत्र – परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण अति अनुभवी नेत्र विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा एवं निःशुल्क चश्मे तथा दवाईयाँ भी आबंटित की जाएँगी । शिविर का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होगा। प्रधानाचार्य हस्ताक्षर |
प्रश्न 16.
‘लालच बुरी बला है’ विषय पर लघु कथा लिखिए। [5]
उत्तर:
लालच बुरी बला है
एक गांव में एक सीधा-सादा किसान रहता था। वह बहुत भोला था परंतु उसकी पत्नी बहुत लालची थी। किसान के पास सुनहरे पंखों वाली एक मुर्गी थी। उसे अपनी मुर्गी से बहुत प्यार था। उसकी मुर्गी रोज़ एक सोने का अंडा देती थी। सोने का अंडा बेचकर धीरे-धीरे वह किसान धनी बन गया ।
किसान की पत्नी में किसान जैसा धैर्य नहीं था । उसको मुर्गी के सारे अंडे एक साथ चाहिए थे। वह चाहती थी सारे अंडे एक साथ बेचकर वह बहुत अधिक धनवान बन जाए। एक दिन उसने किसान को यह सुझाव दिया कि क्यों ना मुर्गी को मारकर एक साथ सारे अंडे निकाल लिए जाएं। किसान ने भी आगे पीछे कुछ नहीं सोचा और पत्नी के कहने पर मुर्गी को मार दिया। जब उन्होंने मुर्गी को काटा तो देखा कि उसके पेट में कोई अंडा नहीं था। अधिक अंडों के लालच के कारण उन्होंने प्रतिदिन मिलने वाले सोने के अंडों से भी हाथ धो दिया। किसान और उसकी पत्नी बहुत पछताए।
प्रश्न 17.
आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा हस्तनिर्मित, टिकाऊ और उपयोगी सामग्री के विक्रय हेतु दीवाली मेला के लिए एक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
‘दीवाली मेला’ के लिए विक्रय हेतु
आइये और देखिये :
विद्यार्थियों के द्वारा बनाई गई,
हस्तनिर्मित, टिकाऊ और उपयोगी सामग्री ।
बहुत ही सुंदर है ये सभी,
बहुत ही प्यारी है ये सभी,
बच्चों की सोच है इसमें,
बच्चों की कला और मेहनत इसमें,
सबसे न्यारी है ये सामग्री ।