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CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2017 (Outside Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड-क ( अपठित बोध )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [8]
हरियाणा के पुरातत्त्व विभाग द्वारा किए गए अब तक के शोध और खुदाई के अनुसार लगभग 5500 हेक्टेयर में फैली यह राजधानी ईसा से लगभग 3300 वर्ष पूर्व मौजूद थी। इस प्रमाणों के आधार पर यह तो तय हो ही गया है कि राखीगढ़ी की स्थापना उससे भी सैकड़ों वर्ष पूर्व हो चुकी थी।
अब तक यही माना जाता रहा है कि इस समय पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा और मुअनजोदड़ो ही सिंधुकालीन सभ्यता के मुख्य नगर थे। राखीगढ़ी गाँव में खुदाई और शोध का काम रुक-रुक कर चल रहा है। हिसार का यह गाँव दिल्ली से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर है। पहली बार यहाँ 1963 में खुदाई हुई थी और तब इसे सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर माना गया। उस समय के शोधार्थियों ने सप्रमाण घोषणाएँ की थीं कि यहाँ दबा नगर, कभी मुअनजोदड़ो और हड़प्पा से भी बड़ा रहा होगा।
अब सभी शोध विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि राखीगढ़ी, भारत-पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान का, आकार और आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा शहर था । प्राप्त विवरणों के अनुसार समुचित रूप से नियोजित इस शहर की सभी सड़कें 1.92 मीटर चौड़ी थीं। यह चौड़ाई कालीबंगा की सड़कों से भी ज़्यादा है। एक ऐसा बर्तन भी मिला है, जो सोने और चाँदी की परतों से ढका है। इसी स्थल पर एक ‘फाउंड्री’ के भी चिन्ह मिले हैं, जहाँ संभवतः सोना ढाला जाता होगा। इसके अलावा टैराकोटा से बनी असंख्य प्रतिमाएँ ताँबे के बर्तन और कुछ प्रतिमाएँ और एक ‘फ़र्नेस’ के अवशेष भी मिले हैं। मई 2012 में ‘ग्लोबल हैरिटेज फंड’ ने इसे एशिया के दस ऐसे ‘विरासत स्थलों’ की सूची में शामिल किया है, जिनके नष्ट हो जाने का ख़तरा है। राखीगढ़ी का पुरातात्त्विक महत्त्व विशिष्ट है। इस समय यह क्षेत्र पूरे विश्व के पुरातत्त्व विशेषज्ञों की दिलचस्पी और जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ बहुत से काम बकाया हैं; जो अवशेष मिले हैं, उनका समुचित अध्ययन अभी शेष है । उत्खनन का काम अब भी अधूरा है।
(i) अब सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर किसे मानने की संभावनाएँ हैं? [2]
(ii) राखीगढ़ी गाँव की सड़कों के विषय में आप क्या जानते हैं? [2]
(iii) राखीगढ़ी को एशिया के विरासत स्थलों में स्थान मिलने का कारण स्पष्ट कीजिए । [2]
(iv) पुरातत्व विशेषज्ञ राखीगढ़ी में विशेष रुचि क्यों ले रहे हैं? [1]
(v) प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर:
(i) अब सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर ‘राखीगढ़ी’ को मानने की संभावनाएँ हैं।
(ii) राखीगढ़ी गाँव की सभी सड़कें 1.92 मीटर चौड़ी थी। यह चौड़ाई हड़प्पाकालीन सुनियोजित नगर कालीबंगा की सड़कों से भी अधिक है ।
(iii) राखीगढ़ी भारत – पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान का आकार और जनसंख्या की दृष्टि से, सबसे बड़ा शहर था यहाँ टेराकोटा से बनी अनेक प्रतिमाएँ तथा ताँबे के बर्तन भी मिले हैं। इस कारण इसे एशिया के विरासत स्थलों में स्थान मिला है।
(iv) पुरातत्त्व विशेषज्ञ राखीगढ़ी में विशेष रुचि ले रहे हैं। वस्तुतः यह नगर हड़प्पा और मुअनजोदड़ो से भी
महत्त्वपूर्ण था। यह आकार और जनसंख्या की दृष्टि से भी बहुत बड़ा था ।
(v) शीर्षक – ‘राखीगढ़ी : एक सभ्यता की संभावना’ ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
एक दिन तने ने भी कहा था,
जड़ ? जड़ तो जड़ ही है;
जीवन से सदा डरी रही है,
और यही है उसका सारा इतिहास
कि ज़मीन में मुँह गड़ाए पड़ी रही है;
लेकिन मैं ज़मीन से ऊपर उठा,
बाहर निकला, बढ़ा हूँ,
मज़बूत बना हूँ, इसी से तो तना हूँ,
एक दिन डालों ने भी कहा था,
तना ? किस बात पर है तना ?
जहाँ बिठाल दिया गया था वहीं पर है बना;
प्रगतिशील जगती में तिल भर नहीं डोला है
खाया है, मोटाया है, सहलाया चोला है;
लेकिन हम तने से फूटीं, दिशा-दिशा में गयीं
ऊपर उठीं, नीचे आयीं
हर हवा के लिए दोल बनीं, लहराईं,
इसी से तो डाल कहलाईं।
( पत्तियों ने भी ऐसा ही कुछ कहा, तो… )
एक दिन फूलों ने भी कहा था,
पत्तियाँ ? पत्तियों ने क्या किया?
संख्या के बल पर बस डालों को छाप लिया,
डालों के बल पर ही चल चपल रही हैं,
हवाओं के बल पर ही मचल रही हैं;
लेकिन हम अपने से खुले, खिले, फूले हैं-
रंग लिए रस लिए, पराग लिए-
हमारी यश-गंध दूर-दूर फैली है,
भ्रमरों ने आकर हमारे गुन गाए हैं,
हम पर बौराए हैं।
सब की सुन पाई है, जड़ मुसकराई है !
(i) तने का जड़ को जड़ कहने का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए। [2]
(ii) डालियों ने तने के अहंकार को क्या कहकर चूर-चूर कर दिया ? [1]
(iii) पत्तियों के बारे में क्या कहा गया है ? [2]
(iv) फूलों ने अपनी प्रशंसा में क्या कहा ? [1]
(v) जड़ क्यों मुसकराई ? [1]
उत्तर:
(i) तने ने कहा कि जड़ तो जड़ है अर्थात् मूर्ख है। तना यह भी कहता है कि जड़ हमेशा जीवन से भयभीत है इसलिए वह सदैव ज़मीन में मुँह गड़ाए पड़ी रहती है।
(ii) डालियों ने कहा कि पेड़ का तन आखिर किस बात पर घमंड कर रहा है क्योंकि इस चलायमान धरती पर वह अपनी जगह पर ही स्थिर रहता है। उसमें गतिशीलता का अभाव है।
(iii) पत्तियों के बारे में कहा है कि संख्या में अधिक होने के कारण वे पेड़ की डालियों पर शासन करती तथा उन्हीं के बल पर वे अपनी चंचलता का प्रदर्शन करती हैं। हवाओं के बल पर वे मचल रही हैं।
(iv) फूलों ने अपनी प्रशंसा में कहा कि हम रंग-रूप-गंध तथा पराग से परिपूर्ण हैं। हम हमेशा खिले रहते हैं। भ्रमर हमारे रूप तथा पराग की ओर आकर्षित होते हैं। हमारी सुगंध दूर-दूर तक फैली रहती है।
(v) जड़ इसलिए मुसकराई क्योंकि वह स्वयं वृक्ष के अस्तित्व का मूल कारण थी और उसके कारण फल-फूल रहे तना, फूल-पत्तियाँ आदि उसे ही क्षूद्र समझ रहे थे।
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : 1 × 3 = 3
(क) वे उन सब लोगों से मिले, जो मुझे जानते थे। ( सरल वाक्य में बदलिए)
(ख) पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में निकलते हैं। ( वाक्य का भेद लिखिए )
(ग) आषाढ़ की एक सुबह एक मोर ने मल्हार के मियाऊ – मियाऊ को सुर दिया था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) वे मुझे जानने वाले सभी लोगों से मिले ।
(ख) संयुक्त वाक्य |
(ग) आषाढ़ की एक सुबह एक मोर था और उसने मल्हार के मियाऊ – मियाऊ को सुर दिया था ।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए- 1 × 4 = 4
(क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है । ( कर्मवाच्य में )
(ख) फ़ाख़्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है। ( कर्तृवाच्य में )
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था । ( भाववाच्य में )
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था । ( कर्तृवाच्य में )
उत्तर:
(क) फुरसत में मैना द्वारा खूब रियाज़ किया जाता है।
(ख) फ़ाख़्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
(ग) बच्चे से साँस नहीं ली जा रही थी।
(घ) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए- 1 × 4 = 4
मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता है, बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है।
उत्तर:
मनुष्य-कर्ता, संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
वह – सर्वमान, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन ।
सूक्ष्म-विशेषण, परिमाण वाचक, एकवचन ।
चाहता है – क्रिया, सकर्मक एकवचन, पुल्लिंग।
प्रश्न 6.
(क) निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उनमें निहित अलंकार पहचानकर लिखिए- 1 × 4 = 4
(i) चिर जीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर ।
को घटि, ये वृषभानुजा, वे हलधर के वीर ॥
(ii) जान पड़ता नेत्र देख बड़े-बड़े, हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।
(ख) (i) मानवीकरण अलंकार का एक उदाहरण लिखिए ।
(ii) अतिश्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण लिखिए ।
उत्तर:
(क) (i) श्लेष अलंकार
(ii) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ख) (i) बीती विभावरी जाग री ।
अंबर पनघट में डुबो रही तारा घट नागरी ।।
(ii) स्वर्ग का यह सुमन धरती पर खिला ।
नाम इसका उचित ही है उर्मिला ||
खण्ड – ग ( पाठ्य-पुस्तक )
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: [5]
पर यह सब तो मैंने केवल सुना। देखा, तब तो इन गुणों के भग्नावशेषों को ढोते पिता थे। एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए थे, जहाँ उन्होंने अपने अकेले के बल-बूते और हौसले से अंग्रेजी – हिंदी शब्दकोश (विषयवार ) के अधूरे काम को आगे बढ़ाना शुरू किया जो अपनी तरह का पहला और अकेला शब्दकोश था। इसने उन्हें यश और प्रतिष्ठा तो बहुत दी, पर अर्थ नहीं और शायद गिरती आर्थिक स्थिति ने ही उनके व्यक्तित्व के सारे सकारात्मक पहलुओं को निचोड़ना शुरू कर दिया। सिकुड़ती आर्थिक स्थिति के कारण और अधिक विस्फारित उनका अहं उन्हें इस बात तक की अनुमति नहीं देता था कि वे कम-से-कम अपने बच्चों को तो अपनी आर्थिक विवशताओं का भागीदार बनाएँ। नवाबी आदतें अधूरी महत्त्वाकांक्षाएँ, हमेशा शीर्ष पर रहने के बाद हाशिए पर सरकते चले जाने की यातना क्रोध बनकर हमेशा माँ को कँपाती – थरथराती रहती थी। अपनों के हाथों विश्वासघात की जाने कैसी गहरी चोटें होंगी वे जिन्होंने आँख मूँदकर सबका विश्वास करने वाले पिता को बाद के दिनों में इतना शक्की बना दिया था कि जब-तब हम लोग भी उसकी चपेट में आते ही रहते।
(क) ‘भग्नावशेषों को ढोते पिता’ से क्या आशय है? [2]
(ख) पिता शक्की क्यों बन गए थे? [2]
(ग) पिता के सकारात्मक गुण समाप्त क्यों होने लगे ? [1]
उत्तर:
(क) पिताजी के गुण अतीत की बात हो गई थी अब तो केवल उनके अवशेष ही शेष थे जो खंडहर की स्मृत्ति दिलाते थे। पिता जी की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी और वह अकारण क्रोधित होते रहते थे तथा उनका अहं चरम सीमा पर था।
(ख) पिताजी अपनों से मिले विश्वासघात की चोटें सह- सहकर शक्की बन चुके थे।
(ग) पिताजी के सकारात्मक गुण समाप्त होने लगे थे। जर्जर आर्थिक स्थिति और अपनों से विश्वासघात मिलने पर उनकी मानसिक स्थिति में बहुत परिवर्तन आ चुका था।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए। 2 × 4 = 8
(क) मन्नू भंडारी ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा है?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को ख़ुदा के प्रति क्या विश्वास है ?
(ग) खेतीबाड़ी से जुड़े बालगोबिन भगत किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
(घ) सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर:
(क) मन्नू भंडारी ने अपनी माँ के बारे में कहा है कि वे अशिक्षित तथा दब्बू प्रकृति की स्त्री थीं। जिन्होंने कभी अपने पति की गलत बातों का भी विरोध नहीं किया। वे पति की सेवा के साथ बच्चों की प्रत्येक माँग को पूरा करने के लिए तत्पर रहती थीं। वे एक सहनशील नारी थी ।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को यह विश्वास था कि ख़ुदा एक दिन अवश्य उन्हें सच्चे सुर की निधि प्रदान करेंगे।
(ग) (i) वह कबीर को मानते थे। वह उनके आदर्शों पर चलते थे और उनके ही पद गाते थे ।
(ii) वह किसी से दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते थे और बिना वजह झगड़ा भी नहीं करते थे ।
(iii) वह कभी झूठ नहीं बोलते थे तथा सभी से खरा व्यवहार रखते थे। कभी किसी की चीज़ को नहीं छूते थे और न ही बिना पूछे व्यवहार में लाते थे।
(iv) जो कुछ खेत में पैदा होता, उसे सबसे पहले साहब (कबीर) के दरबार में ले जाते और जो मिलता, उसे प्रसाद के रूप में घर ले आते तथा उसी से गुज़ारा करते ।
(v) कार्तिक मास में उनकी प्रभातियाँ शुरू हो जाती थीं। वे सुबह उठकर नदी पर जाते थे। शौच तथा स्नानादि से निवृत्त होकर गाँव के बाहर पोखरे के ऊँचे भिंडे पर बैठकर अपनी खँजड़ी लेकर कबीर के पदों को गाते थे। वह प्रतिदिन शाम को अपने घर के आँगन में भी संगीत प्रेमियों के साथ कबीर के पद गाते थे ।
(घ) सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि वह चौक पर लगी सुभाषचंद्र बोस की चश्माविहिन मूर्ति की आँखों पर कोई न कोई चश्मा अवश्य पहनाए रखता था। सुभाषचंद्र बोस के प्रति उसके प्रेम को देखकर लोग उसे कैप्टन कहने लगे थे।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
(क) ‘बैठने लगता है उसका गला’ का क्या आशय है? [2]
(ख) मुख्य गायक को ढाँढ़स कौन बँधाता है और क्यों? [2]
(ग) तार सप्तक क्या है? [1]
उत्तर:
(क) मुख्य गायक सबके सम्मुख अपने मुख्य स्वर में गाता है। परंतु गाना गाते-गाते उसका कण्ठ धीरे-धीरे अवरुद्ध होने लगता है तथा गायन शिथिल पड़ने लगता है। उस समय उसके गले से स्वाभाविक स्वर नहीं निकलता ।
(ख) मुख्य गायक को संगतकार या सहायक गायक ढांढ़स बंधाता है। क्योंकि जब मुख्य गायक गाते-गाते थक जाता है तो संगतकार अपने स्वर द्वारा उसके मुख्य स्वर को सहयोग देता है।
(ग) तार सप्तक में सात स्वर होते हैं। इसमें गायक उच्च स्वर में गाता है। मध्य सप्तक और मन्द सप्तक में क्रमश: धीरे गाया जाता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए । 2 × 4 = 8
(क) कवि ने मधुप के रूप में किसकी कल्पना की है ? वह गुनगुना कर क्या कह रहा है?
(ख) कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है?
(ग) गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है ?
(घ) “ धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा” – के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(क) कवि ने मधुप के रूप में मन की कल्पना की है। वह गुनगुना कर विरह की कहानी कहता है । मन रूपी भ्रमर गुनगुना कर अपनी विरह की अंतहीन व्यथा प्रकट कर रहा है।
(ख) कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है-
1. बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।
2. यों लगता है मानो झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों।
3. चट्टानें पिघलकर जलधारा बन गई हों।
4. बबूल से शेफालिका के फूल झड़ने लगे हों।
(ग) गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्भव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वह कृष्णरूपी प्रेम रस के सागर के सान्निध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित है। वह प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं। (घ) श्रीराम के स्वभाव में अद्भुत विनम्रता है। वे परशुराम से कहते हैं कि धनुष को तोड़ने वाला उनका कोई दास ही होगा। वे स्वयं ईश्वर हैं परन्तु फिर भी परशुराम के ब्राह्मणत्व को सम्मान देते हुए स्वयं को उनका दास कहते हैं। इस कथन से उनकी विनयशीलता और अहंशून्यता का बोध होता है।
प्रश्न 11.
‘आप चैन की नींद सो सकें इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं’ – एक फ़ौजी के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए । [4]
उत्तर:
उपरोक्त कथन से फ़ौजी की कर्त्तव्यनिष्ठा तथा कठिन जीवनशैली का बोध होता है। सीमा के रक्षक जवानों को रात्रि के समय भी निरन्तर सजग रहना पड़ता है। वे आलस्य या प्रमाद नहीं कर सकते। वे यदि अपने कर्त्तव्य का समुचित पालन नहीं करेंगे तो शत्रु देश के सैनिक इसका लाभ उठा सकते हैं तथा हमारे देश को हानि पहुँचा सकते हैं। देश के सैनिक दिन-रात जागकर शत्रु देश के सैनिकों और घुसपैठियों से देश के लोगों की रक्षा करते हैं। उनके इस अनथक कार्य के फलस्वरुप ही सामान्य नागरिक सुख और चैन की नींद सो पाते हैं।
खण्ड – घ ( लेखन)
प्रश्न 12.
दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए- [10]
(i) विज्ञापन की दुनिया : विज्ञापन का युग – भ्रमजाल और जानकारी – सामाजिक दायित्व
(ii) भ्रष्टाचार मुक्त समाज : भ्रष्टाचार क्या है – सामाजिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार – कारण और निवारण
(iii) पी०वी० सिंधु – मेरी प्रिय खिलाड़ी : अभ्यास और परिश्रम जुझारूपन और आत्मविश्वास – धैर्य और जीत का सेहरा
उत्तर:
(i) विज्ञापन की दुनिया
आधुनिक युग में चारों ओर विज्ञापन का बोलबाला दृष्टिगत होता है। वस्तुतः विज्ञापन का उद्देश्य विज्ञापित वस्तुओं की बिक्री बढ़ाना अथवा किसी विशिष्ट सूचना को जनता तक पहुँचाना होता है। विज्ञापन अनेक प्रकार के होते हैं- जैसे सरकारी विज्ञापन, नौकरी के लिए विज्ञापन, वैवाहिक विज्ञापन, गुप्त सूचनाएँ एकत्रित करने से संबद्ध विज्ञापन आदि । विज्ञापन न केवल लोगों को सामान्य जीवन में मकान बनवाने, वैवाहिक संबंधों के लिए जानकारी प्राप्त करने में सहायता प्रदान करते हैं अपितु वाहन इत्यादि खरीदने के लिए भी निर्णय लेने में सहायक होते हैं। विज्ञापन इस प्रकार के निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
वर्तमान युग में विज्ञापन का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत हो गया है। बड़ी-बड़ी व्यापारिक संस्थाएँ अपने उत्पाद को लोकप्रिय बनाने हेतु करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर खर्च कर देती हैं। कई कम्पनियाँ तो अच्छे ‘स्लोगन’ की तलाश में ही लाखों रुपए खर्च कर देती हैं जिससे उनके उत्पाद का विज्ञापन दर्शकों, श्रोताओं या पाठकों को अधिक प्रभावित करने में समर्थ हो ।
टी०वी० तथा समाचार पत्रों में आजकल विज्ञापनों की बाढ़ सी आई दिखाई देती है। आजकल तो सैलफोन पर भी मित्र बनाने तथा ज्योतिष संबंधी सलाह लेने के लिए विज्ञापन प्रदर्शित किए जाते हैं। टी०वी० के अधिकांश कार्यक्रम विभिन्न बड़ी कम्पनियों द्वारा अपने विज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए प्रायोजित किए जाते हैं। विज्ञापन अनेक बार ग्राहकों को भ्रमित भी करते हैं। वस्तुतः विज्ञापनों को देखकर कभी किसी वस्तु के गुणों के विषय में आश्वस्त नहीं होना चाहिए। विज्ञापन के आधार पर हमें किसी वस्तु को अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए।
(ii) भ्रष्टाचार मुक्त समाज
वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के दानव से संपूर्ण समाज त्रस्त है। अधिकांश व्यक्ति अनुचित व्यवहार द्वारा अधिक धन अर्जित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। असंख्य व्यक्ति रिश्वत लेते हैं। अधिकांश नेता चुनाव जीतने के लिए अनैतिक साधनों का प्रयोग करते हैं। व्यापारी लोग भी खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। किसान भी सब्ज़ियों तथा फलों में इंजैक्शन लगाकर अथवा कैमिकल का प्रयोग कर उन्हें दूषित करते हैं तथा महंगे दामों पर बेचते हैं। दूध, घी, मिठाइयों आदि में मिलाबट तो सामान्य बात है। न्यायालयों में अनेक न्यायाधीश रिश्वत लेते हैं। यह सब कुछ भ्रष्टाचार के अन्तर्गत ही आता है। वस्तुतः वर्तमान समाज में भ्रष्टाचार मुक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार मिटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में कोई उल्लेखनीय घोटाला नहीं हुआ। इससे पूर्व तो प्रतिवर्ष बड़े-बड़े घोटालों का सामने आना सामान्य- सी बात थी। कोयला घोटाला तथा 3जी घोटाला जैसे घोटालों से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत हानि पहुँची है। परंतु आज के संदर्भ में दूरदर्शन भ्रष्टाचार फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। किशोरवर्ग तथा युवावर्ग के लिए चरित्रहीनता सम्मान की वस्तु बन गई है। अवैध संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया जा रहा है।
फिल्मों में हिंसा और नग्नता का खुलेआम प्रदर्शन भी समाज की व्यवस्था को अपाहिज बनाने में पूरा योगदान दे रहा है। फैशन के नाम पर नारी शरीर को ‘उत्पाद’ की तरह प्रस्तुत किया जाता है।
आजकल पारिवारिक संबंधों में भी भ्रष्टाचार ने विषबीज बो दिए हैं। तथाकथित ‘कज़िन’ तथा ‘अंकल’ किस प्रकार परिवार के बच्चों को शारीरिक शोषण करते हैं, इसका प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान समाज में लाखों स्त्रियाँ वेश्याएँ हैं। धन कमाने के लिए ये स्त्रियाँ समाज की व्यवस्था को विकृत करने का प्रयास कर रही हैं। समाज में मदिरा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार अपनी विषबल फैलाता जा रहा है। इसे रोकने के लिए ‘संचार माध्यम’ (मीडिया) बहुत सहायक हो सकता है तथा कठोर कानून भी इस पर रोक लगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
(ग) पी०वी० सिंधु-मेरी प्रिय खिलाड़ी
भारत के गौरव की अभिवृद्धि में जिन महिला खिलाड़ियों का योगदान रहा है उनमें पी०वी० सिंधु अत्यधिक महत्वपूर्ण खिलाड़ी कही जा सकती हैं। वे भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला बैडमिंटन खिलाड़ी है। 2016 के रियो ओलंपिक में उन्होंने सिल्वर मैडल प्राप्त किया।
पी०वी० सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। उनका जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद में हुआ। उन्होंने हैदराबाद के सेंट ऐनिज़ कॉलेज से बी०कॉम० की शिक्षा प्राप्त की। इस समय वे महिला बैडमिंटन में विश्व में तीसरी रैंकिंग रखती हैं। उनके अतिरिक्त केवल साइना नेहवाल को ओलंपिक में पदक प्राप्त करने का गौरव मिला। 18 वर्ष की आयु में सिन्धु को अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हुआ था। पी०वी० सिन्धु के प्रशिक्षक प्रसिद्ध खिलाड़ी पुलेला गोपीचन्द हैं। ओलंपिक में मैडल मिलने पर सिन्धु को सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने भी सिन्धु को एक बी०एम०डबल्यू कार उपहारस्वरूप दी है। इस महिला खिलाड़ी में आत्मविश्वास और जुझारूपन स्पष्ट लक्षित होता है। खेल में ऐसा गौरवपूर्ण स्थान पाने के लिए उन्होंने कठिन अभ्यास किया। वे सुबह साढ़े चार बजे ही अभ्यास प्रारम्भ कर देती थीं। उनकी ध्यान केवल खेल पर ही केन्द्रित रहता है। पी०वी० सिन्धु एक अद्भुत खिलाड़ी हैं। उन्हें प्रशासन की ओर से तो सम्मान मिला ही इसके अतिरिक्त वह लाखों लड़कियों का आदर्श हैं। उनके जीवन से असंख्य किशोरियों को देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली है।
प्रश्न 13.
अपनी दादी की चित्र – प्रदर्शनी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखते हुए उन्हें बधाई – पत्र लिखिए । [5]
उत्तर:
9 – सी राजपुर रोड़
facet-110054
दिनांक 13 मई, 20xx
आदरणीय दादी जी
प्रणाम !
कल का दिन मेरे लिए अविस्मरणीय था। शंकर हॉल में आपकी चित्र – प्रदर्शनी देखकर मैं अत्यन्त आनंदित और विस्मित हो रहा था। जब दर्शक आपके द्वारा बनाए गए चित्रों की मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहे थे तो मैं अपने-आप बहुत गर्वित महसूस कर रहा था। मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था कि आपमें ऐसी सृजन प्रतिभा है। उम्र के इस पड़ाव पर जब अधिकतर लोग अपने जीवन में एक ठहराव सा महसूस करते हैं, आपने अपने जीवन को चलायमान रखा तथा स्वयं में एक नई ऊर्जा का संचार किया। आज अपनी प्रतिभा के बल पर सबके समक्ष यह सिद्ध कर दिखाया कि यदि निश्चय दृढ़ हो तो उम्र बस एक संख्या है कोई बंधन नहीं। मेरी हार्दिक कामना है कि मुबंई में भी आपकी चित्र प्रदर्शनी का आयोजन हो। मैं आपको हृदय की संपूर्ण भावनाओं के साथ बधाई देता हूँ।
आपका पौत्र
सलिल गुप्ता
अथवा
अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए अपने जिले के शिक्षा- अधिकारी को आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर –
सेवा में,
शिक्षा अधिकारी महोदय
मोदी नगर, उत्तर प्रदेश
विषय : प्राथमिक शिक्षक के पद हेतु आवेदन पत्र ।
महोदय
निवेदन यह है मैं मनोज कुमार मित्तल, निवासी मोदी नगर, दिनांक 21 नवंबर, 20xx को समाचार पत्र दैनिक जागरण में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार प्राथमिक शिक्षक हेतु आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी शिक्षा का विवरण निम्नांकित है :
मैं आश्वस्त करता हूँ कि मैं अध्यापन कार्य में अथक परिश्रम करूंगा। मेरी शैक्षणिक योग्यता के प्रमाणपत्रों की प्रतियाँ आवेदन पत्र के साथ संलग्न हैं।
सधन्यवाद!
भवदीय
मनोज कुमार मित्तल
20 – सी मोदी नगर
दिनांक : 22 नवंबर, 20xx
प्रश्न 14.
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उत्तर:
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